शारीरिक स्वास्थ्य स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं – स्मार्ट दैनिक गतिविधियां / प्राथमिक व्यायाम व पोषणयुक्त भोजन व स्वच्छ परिवेश
मनुष्य का शारीरिक स्वास्थ्य उसके खानपान, रहन-सहन, वेशभूषा व परिवेश अर्थात उसके वातावरण पर निर्भर है। स्वस्थ शारीरिक स्वास्थ्य अच्छे खानपान, रहन-सहन व स्वच्छ परिवेश का परिणाम है, जैसे पोषण-युक्त भोजन लेना, स्वच्छ पानी पीना व स्वच्छ हवा में सांस लेना।
संतुलित भोजन
संतुलित भोजन वह आहार है, जिससे मनुष्य के शरीर को ठीक से कार्य करने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। संतुलित आहार का अर्थ पूरा भोजन खा लेना नहीं है। विज्ञान के अनुसार, सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाने वाली खाद्य सामग्री से तैयार किए गए भोजन को पूर्ण रूप से हेल्दी आहार कहा जाता है, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और वसा सहित, विटामिंस और खाद्य लवण व इत्यादि पोषक-तत्व होते हैं।
हमारा भोजन में वे पदार्थ शामिल हैं, जिनमें शर्करा (कार्बोहाइड्रेट), वसा, जल तथा/अथवा प्रोटीन की मात्रा होती है। मनुष्य या किसी भी नय प्राणी के द्वारा खाया /या ग्रहण की जाने वाली सामग्री ही भोजन है। भोजन की आवश्यकता जीवित रहने के साथ-साथ स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने के लिए अनिवार्य है।
शरीर का विकास और उसे स्वस्थ रखने एवंं शरीर को शक्ति प्रदान करने वाले पोषक तत्व भिन्न-भिन्न पदार्थों में पाए जाते हैं।
कार्बोहाइड्रेट व वसायुक्त भोजन शक्तिदायक भोजन की श्रेणी में आते हैं। ये खाद्य पदार्थ दालें, कन्दमूल, सूखे मेवे, चीनी, तेल और वसा व अन्य कई पदार्थ हैं।
भोजन, जिससे शरीर का विकास होता है-शरीर का निर्माण करने वाला भोजन
उन खाद्य पदार्थों से तैयार भोजन, जिसमें अधिक प्रोटीन होता है, शरीर निर्माण करने वाला भोजन है। देशी गाय का दूध, घी, दालें, तिलहन और कम वसा वाले तिलहन शरीर-निर्माण करने वाले खाद्य पदार्थ हैं।
भोजन, जो शरीर की रक्षा करता है-शरीर की रक्षा करने वाला भोजन
प्रोटीन, विटामिन और अधिक खनिज पदार्थ युक्त भोजन शरीर की रक्षा करने वाला भोजन है। दूध और दूध के उत्पाद, अंडे, कलेजी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ और फल शरीर की रक्षा करने वाले खाद्य पदार्थ हैं।
मनुष्य का सिर
मनुष्य अन्य प्राणियों की तरह एक प्राणी है, जिसके शरीर के सबसे शीर्ष भाग को सिर/ हेड नाम से जाना जाता है। सिर में मुख्य रूप से ज्ञानेन्द्रियाँ मौजूद होती हैं। सरल शब्दों में कहें, सिर, मानव शरीर रचना में शरीर का सबसे ऊपर का अंग है। सिर से ही चेहरे को आधार मिलता है, सिर का आंतरिक भाग खोपड़ी है, इसी में मस्तिष्क है। मनुष्यों के लिए, सिर और विशेष रूप से चेहरा अलग- अलग लोगों के बीच मुख्य खास लक्षण हैं, उनके उचित आसानी से समझने योग्य लक्षणों जैसे ऑखों और बाल का रंग, ऑख, नाक और मुँह की बनावट और झुर्रियां। मनुष्य के सिर का वजन औसतन 5 और 11 पाउंड ( 2.3kg और 5.0kg) के बीच होता है।
यह कहावत प्रचलित है “उसका सिर ऊंचा है” मतलब वह एक अच्छा व इज्जतदार आदमी है। समाज में उसकी स्थिति एक अच्छे इंसान के रूप में है, लेकिन यह सब तभी होगा जब किसी व्यक्ति के शरीर का सिर स्वस्थ है। इसलिए, हर पैरेंट्स/ परिवार को अपने बच्चों की परवरिश में उनके सिर पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
हालांकि, मनुष्य का सिर गुदगुदा बना होता है जिसका बाहरी भाग खोपड़ी की हड्डियों से घिरा रहता है, जिसमें मस्तिष्क होता है। सिर गर्दन पर टिका हुआ है और इसे घुमाने के लिए सात ग्रीवा जोड़ों के द्वारा हड्डियों का समर्थन मिलता है। बच्चे के जन्म के समय से ही पता चलने लगता है कि उसके सिर का आकार किस तरह का होगा। हालांकि सामान्य रूप से सिर का आकार गोल होता है, परंतु ध्यान देने वाली बात है कि सिर का आकार कितना गोल, चौड़ा है, कहीं एक साइड अधिक पिचका हुआ या फूला हुआ तो नहीं है। किसी के सिर का आकार सामान्य से कुछ बड़ा दिखता है, क्या उसे कम होना चाहिए!
सिर में रक्त संचार
आंतरिक और बाहरी ग्रीवा धमनियों द्वारा सिर तक रक्त संचारित होता है। ये खोपड़ी के बाहरी भाग में संचार( बाह्य ग्रीवा धमनी) और खोपड़ी के अन्दर ( आंतरिक ग्रीवा धमनी) में रक्त का संचार करते हैं। कशेरूकीय धमनियों से भी खोपड़ी के अंदर वाले भाग में रक्त संचार होता है, यह रक्त संचार ऊपर की तरफ ग्रीवा कशेरूकाओं के द्वारा होता है।
कपालीय तंत्रीकाओं के बारह जोड़े सिर की अधिकांश नसों को संचालित करती हैं। चेहरे तक संवेदना एक कपालीय नस की सहायक ट्रेगमिंल नस द्दवारा पहुंचती है। सिर के दूसरे भागों में संवेदना ग्रीवा नसों द्दवारा पहुंचती है। किसी नवजात शिशु के सिर का आकार बच्चे का सिर गोल कैसे किया जाए, यदि बच्चे का सिर बड़ा है, तो इस बारे में क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए। बच्चे के जन्म के समय सिर गर्म रहता है, किसी का ठंडा रहता है, यह निर्भर करता है कि नवजात शिशु के सिर पर पपड़ी कितनी सख्त है, वैसे तो यह कोमल रहती है, परंतु इस पपड़ी को समय के साथ कुछ सख्त होने से सिर में बालों को पर्याप्त पोषण मिलता है। नवजात शिशु के सिर में सूजन होने की समस्याएं भी अक्सर देखी जाती हैं।
सिर में होने वाली समस्याएं, मस्तिष्क ज्वर, जिसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है, यह हल्का है या अधिक हो रहा है, इस बारे में बहुत से बचाव अनिवार्य होते हैं।
स्वस्थ जीवन की सदियों से चली आ रही परंपरा को संपूर्ण विश्व को जागृत करने के लिए भारत ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया और वर्तमान में संपूर्ण विश्व में योग दिवस मनाया जा रहा है, जिसका संबंध स्वस्थ शरीर व स्मार्ट जीवन शैली से है!
मनुष्य जीवन में स्वस्थ स्वास्थ्य सिर्फ हष्ट-पुष्ट शरीर होना नहीं, बल्कि मनुष्य को मानसिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से सक्षम होना भी अत्यावश्यक है, वरना समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकार के पहुलू मनुष्य के जीवन के जीवन का स्तर उन्नत करने में बाधा बनते हैं। जहां मनुष्य को शारीरिक स्वास्थ्य स्वस्थ बनाने के लिए पोषणयुक्त भोजन व उपयुक्त व्यायाम की जरूरत होती है, वहीं मानसिक स्वास्थ्य के लिए उसे उचित समझ और शिक्षा की आवश्यकता होने के साथ-साथ मन का मनोरंजन करने के लिए विभिन्न प्रकार के पर्यटन, खेल व अन्य प्रकार की गतिविधियां (सामान्य व जोखिम भरे) की जरूरत होती है। मनुष्य को अक्ल/ समझ नहीं है, तो वह पृथ्वी पर एक बोझ है, क्योंकि मनुष्य समाज की इकाई है और समाज में उसकी सहभागिता अत्यंत आवश्यक है, जिससे विकसित होती है उसकी सामाजिक स्थिति। मनुष्य की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक स्थिति स्वस्थ होने के साथ उसकी आर्थिक स्थिति भी स्वस्थ व अनुकूल होनी भी जरूरी है, अन्यथा वह अपने समाज के साथ नहीं चल पाएगा, जिसके लिए उसे कुछ कार्य करना परम आवश्यक है। इसी कार्य से ही मनुष्य की वास्तविक पहचान बनती है, जिससे घर-परिवार, गांव-शहर व देश-विदेश में उसकी शान बढ़ती है। ज्ञान का सही उपयोग कर संसार को सीख देना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, इससे व्यक्ति-विशेष को प्रसिद्धि मिलती है और उसका नाम दुनिया में अमर हो जाता है।
मनुष्य के जीवन में पहला और अनिवार्य अध्याय – स्वस्थ शारीरिक संरचना
मानव शरीर एक सिर, गर्दन, धड़, दो हाथ और दो पैर से जुड़ा हुआ एक आकार है, और यह आकार मनुष्य के जन्मदिन से शुरू होकर अगले दिन, माह और वर्षों में विकसित होता है। मानव शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों में अनगिनत कोशिकाएं होती हैं, जो उसकी उम्र के साथ विकसित होती रहती हैं और यही मानव शरीर की संरचना है।
स्वस्थ और सुडौल शरीर के लिए आवश्यक हैं स्वस्थ व मजबूत मांसपेशियां
हमें स्वस्थ शारीरिक संरचना के लिए अपने शरीर की मांसपेशियां बनानी होंगी मजबूत....
इसके फलस्वरूप इंसान को प्राप्त होता है सुडौल शरीर.....
पहली नजर में आपके लुक से ही अन्य लोग प्रभावित होते हैं – यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का हो सकता है।
मांसपेशियां
मनुष्य का शरीर मांसपेशियों का जाल है। सभी शारीरिक गतिविधियों के लिए मांसपेशियां उत्तरदायी हैं अर्थात यदि मनुष्य के शरीर में मांसपेशियों स्वस्थ नहीं हैं, तो शरीर में कोई भी गतिविधि होना असंभव है। मनुष्य के शरीर में दो प्रकार की मांसपेशियां पायी जाती हैं:
स्वैच्छिक व अनैच्छिक
आपके हाथ-पैर बनाते हैं आपकी स्वस्थ शारीरिक संरचना, चेहरा नहीं
ज़िस तरह हर किसी कार्य की प्राथमिक तैयारी की जाती है, ठीक उसी तरह से आपकी शारीरिक संरचना कुछ इस तरह से निर्धारित होती है - आप कैसे खड़े होते हैं और अपने कदम कैसे बढ़ाते हैं....शरीर की संरचना कैसी बनानी है यह आपके हाथों से दैनिक जीवन में किए जाने वाले क्रियाक्लाप, कदमों पर निर्भर है। बिल्कुल अनदेखा न करें, आप बैठे होते हैं, खड़े होते हैं और चल रहे होते हैं तो आपके ध्यान में ये बात होनी चाहिए कि सभी संबंधित गतिविधियां उचित तरीके से हो रही हैं। थोड़ी सी लापरवाही का आपकी बॉडी लैंग्वेज पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
आपकी हर दैनिक गतिविधि, जैसे बैठना, उठना, खड़े रहना, चलना, खाने का तरीका, सोना का तरीका व अपने परिवार के सदस्यों के साथ आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों से आपकी शारीरिक संरचना निर्धारित होती है। यह प्रथम चरण है जिसमें आपको अपने शरीर की बनावट / संरचना पर ध्यान देना है। दैनिक गतिविधियां बहुत महत्वपूर्ण हैं, इन्हें अनदेखा न करें, इनका आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आप जिस भी किसी दूसरे व्यक्ति से मिलते हैं, उसका पहली बार ध्यान आपके शरीर पर जाता है, जिसे आज के दौर में कहा जाता है आपका लुक!
स्वस्थ शारीरिक होने के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी स्वस्थ होना है अनिवार्य! वरना मनुष्य की बुद्धि का विकास नहीं हो पाता है और वह बुरे कार्यों में लिप्त रहता है
आपकी सोच, विचार, अच्छे-बुरे में अंतर करना और अपने परिवार के साथ-साथ अन्य लोगों के साथ आपके व्यवहार से विकसित होती है आपका मानसिक स्वास्थ्य/स्थिति। आपकी दैनिक गतिविधियों की अहम भूमिका होती है आपके मानसिक स्वास्थ्य का निर्माण करने में
मनुष्य के जीवन व नैतिक जिम्मेदारियों में गहरा संबंध है, जो इस संबंध की सीमा से बाहर जाने का प्रयास करता है, उसकी जिंदगी बन जाती है – एक दुखद जिंदगी
आपके पास संसाधन तो पर्याप्त हैं पर आप एक ही जगह पर रहने के आदी होते जा रहे हैं – ये मानव जीवन बस एक सीमित समय के लिए इस प्रथ्वी में रह सकता है। संपूर्ण दुनियां में आप अपने संसाधनों के अनुसार अपनी इच्छा के स्थान जाकर अपनी लाइफस्टाइल में विशेषताएं जोड़ सकते हैं। देश, काल वहां की संस्कृति को करीब से देखना और अनुभव करना आपके जीवन को खुशनुमा कर देता है- जिससे होता है शरीर का विकास और आपको गिफ़्ट में मिलती है - लंबी उम्र।
प्राकृतिक हर्बल जैसे विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, फल-फूल, घास-फूस को अलग-अलग मात्रा में मिलाकर कोई सामग्री तैयार करना ही एक प्राथमिक हर्बल उत्पाद का रूप है। हर्बल उत्पाद को ठोस, द्रव, जेल रूप में तैयार कर अधिक समय तक उपयोग में लाने के लिए रखा जाता है। अगर किसी व्यक्ति के आसपास या उसकी आसान पहुंच में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक हर्बल्स उपलब्ध हों, तो वह अपने दैनिक जीवन में इस प्रकार के उत्पाद स्वयं तैयार कर सकता है।
TULSI TEA है हर उम्र के लिए टॉनिक
आम महिलाएं हों या कोई सेलिब्रिटी क्यों मुंह मोड़ रही हैं अधिक मेकअप करने से ...
आम महिला हो या कोई सेलिब्रिटी क्यों मुंह मोड़ रही हैं अधिक मेकअप करने से- खूबसूरत चेहरों को देखकर सब लोग उसी तरह दिखना चाहते हैं। उन जैसा दिखने के लिए सभी मेकअप का इस्तेमाल करने लगते हैं। कभी-2 इन रसायनयुक्त उत्पादों का उपयोग करने में कोई हानि नहीं होगी लेकिन प्रतिदिन इनका इस्तेमाल त्वचा के लिए हानिकारक है। चाहे वह फाउंडेशन हो या मस्कारा सभी उत्पाद एक दिन अपना रंग दिखाएंगे। भगवान ने सबको सुंदर बनाया है अत: दूसरों का जैसा दिखने के लिए हमें मेकअप की जरूरत नहीं है। मेकअप से फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं। इसलिए ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल रोज नहीं बल्कि कभी-2 करना चाहिए। प्रतिदिन मेकअप करने से होने वाले नुकसान निम्न हैं।
रसायन से भरे ये उत्पाद कुछ समय के लिए आपको आकर्षक बना सकते हैं पर लंबे समय तक इनका उपयोग करने के नुकसान अधिक हैं। आपकी खिलती, चमकती त्वचा कब इन रसायनों की चपेट में आकर अपनी चमक खो देगी आपको पता भी नहीं चलेगा।
बुरे प्रभाव निम्न हैं:
आप अपनी त्वचा के कारण अपनी उम्र से अधिक उम्र के दिख सकते हैं!
मेकअप की चीजों में मौजूद पिगमेंट व अन्य कण बैक्टीरिया एवं प्रदूषित हवा के साथ घुल जाते हैं। ये आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं तथा खराब हुई त्वचा नई त्वचा कोशिकाओं को विकसित होने से रोकती है। जिसके कारण चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ जाती हैं।
मेकअप रोमकूपों के आकार को बढ़ाता है
प्रतिदिन चेहरे पर मेकअप लगाने से चेहरे की त्वचा के रोमकूपों का आकार बढ़ जाता है। इन रोमकूपों में मेकअप का थोड़ा अंश रह जाता है, जो बैक्टीरिया के साथ मिलकर मुँहासों का कारण बनता है।
नेत्र संक्रमण
अपनी आंखों को आकर्षक बनाने के लिए उपयोग किया गया मेकअप आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। आंखों के मेकअप में मौजूद रसायनों से आंख का अल्सर या खुजली या जलन हो सकती है। इसलिए इसका प्रयोग प्रतिदिन नहीं, बल्कि कभी-2 कर सकते हैं।
पलकें झड़ सकती हैं
पलकों पर नियमित रूप से मस्कारा लगाने से पलकें झड़ सकती हैं। पलकों को खूबसूरत बनाने के लिए जो सौन्दर्य-उत्पाद का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे कुछ समय बाद अपना असली रूप दिखाएगा, इसको उपयोग करने का खामियाजा आपकी झड़ती पलकों के रूप में होगा।
आपके होठों को शुष्क व काला बनाता है
बाजार में मौजूद अलग-2 रंग के लिपस्टिक को लगाकर होठों को निखारती हैं। लेकिन 24 घंटे होठों पर मौजूद लिपस्टिक होठों के प्राकृतिक रंग को छीन सकते हैं, लिपस्टिक से होंठ काले पड़ सकते हैं। होंठों पर लिपस्टिक लगाने की जगह कोई लिप बाम या प्राकृतिक उत्पाद का प्रयोग करें।
आंखों के आसपास झुर्रियां पड़ सकती हैं
प्रतिदिन चेहरे पर फाउंडेशन का प्रयोग करने से चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं तथा इसके निशान सबसे पहले चेहरे की संवेदनशील त्वचा पर नजर आएंगे। झुर्रियों के कारण आप ज्यादा उम्र की नजर आएंगी और इसका प्रमुख कारण है मेकअप, अधिक मेकअप करने से बचें।
त्वचा की लचक खो जाती है
हमारी त्वचा में मौजूद लचक इसे जवां बनाए रखती है। लेकिन मेकअप से लचक को बनाए रखने वाले ऊतकों का नाश हो जाता है। जिसके कारण आपकी चमड़ी लटकने लगती है और आप बूढ़ी नजर आती हैं। इसलिए मेकअप का प्रयोग हर रोज ना करें।
मानव जीवन में खुश होना बहुत महत्वपूर्ण है। सामान्य रूप से किसी व्यक्ति के हंसने, रोने व हाव-भाव से वह व्यक्ति खुश होने या दुखी होने का पता चलता है, परंतु मानव जीवन में वास्तविक खुशी और अस्थाई खुशी दो अलग-अलग स्थितियां हैं, जिसमें से अस्थाई खुशी का संबंध हर मुस्कान या हंसने से है, जो मनुष्य को दैनिक जीवन के कई प्रसंगों में हो सकती है, जबकि वास्तविक खुशी मिलती है सिर्फ स्वस्थ स्वास्थ्य से। लोग अक्सर तलाश में रहते हैं कि खुश कैसे रहें या यदि खुशी है, तो उसे कैसे व्यक्त करें। आमतौर पर किसी व्यक्ति की हरकतों, क्रियाओं व व्यवहार से उसकी खुशी का पता चल जाता है। परंतु मानव जीवन में वास्तविक खुशी तो आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में मिलना दूभर हो गया है, क्योंकि आज के दौर में हमारा खान-पान, पर्यावरण व व्यस्त लाइफ स्टाइल हमें वास्तविक खुशी पाने से दूर ले जा रहे हैं।
क्या यह वास्तविक खुशी, क्यों नहीं मिल पा रही आज के दौर में वास्तविक खुशी इस बात पर निर्भर है कि आज मानव समाज का हर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए शॉर्टकट तरीकों से इतना आगे बढ़ना चाह रहा है, कि वह मानव शरीर के आवश्यक लिए तत्व जल, मिट्टी व वायु के अस्तित्व की परवाह किए बिना इन तत्वों से दूर कृत्रिम रूप में तैयार विभिन्न उत्पाद उपयोग कर रहा है, जिसका नतीजा है, अस्वस्थ शरीर, कई तरह की बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं। इनके प्रभाव से आज मनुष्य एक पुतला बन गया है और कृत्रिम चीजों के सहारे अपना जीवन यापन कर रहा है, जिससे उसे सिर्फ मिल रही है अस्थाई खुशी! जो क्षण भर के लिए है और मनुष्य के जीवन अवधि का अनुमान लगाना नामुमकिन है, क्योंकि वह उस शक्ति से कोसों दूर है, जिससे उसे मिलती है वास्तविक खुशी! वास्तविक खुशी का मतलब स्वस्थ शरीर के अलावा कुछ नहीं है, जिसे उचित खान-पान नेचुरल हर्बल्स से शरीर को शक्ति प्रदान कर और विभिन्न प्रकार से मनोरंजन जैसे पर्यटन से मन को स्वस्थ रखकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
किसी इंसान में ये सभी अंग आकर्षक या अन्य लोगों की तुलना में कुछ अलग से होने के जिम्मेदार या तो उनके मां-बाप हैं या फिर ये अंग उसमें समय व उम्र के साथ विकसित होते हैं। यदि इंसान शरीर सुडौल हो, तो उसे ही कहा जाता है - शारीरिक रूप से खूबसूरत।
दुनियां में इंसान एक सीमित समय के लिए है और उसके अपनी लाइफस्टायल स्मार्ट बनाने के वे कई तरीके हैं, जिनसे वह अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी स्मार्ट बना सकता/ सकती है। यहां पर एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान के व्यवहार और चाल-चलन की उसके वास्तविक जीवन को स्मार्ट बनाने में मुख्य भूमिका होती है। और आधुनिक युग में स्टायलिश बनना भी एक कला है, इसलिए पीछे न रहें, अपना मन बना लें कि आप किसी से कम नहीं हैं। इसी का नाम डियर जिंदगी है।
कैसी हैं आपकी आंखें - आंखें आपको दुनिया दिखा रही हैं, आप क्या दे रहे हैं अपनी आंखों को
शरीर के अनिवार्य अंग आंखें इंसान की शारीरिक खूबसूरती ही नहीं बल्कि मानसिक मंशा भी बयां करती हैं। हमारे जीवन के रोजमर्रा के कार्य करने में आंखें जितनी महत्वपूर्ण हैं, उससे अधिक स्वाद ये हमें चीजें देखने से देती हैं, साथ में चेहरे की खूबसूरती में आंखें चार-चांद लगा देती हैं। इसके अतिरिक्त, शरीर में मौजूद रोग, बीमारियों के संकेत भी आंखों से मिलते हैं।
कैसे करें अपने आंखों की देखभाल
आपकी आंखों का प्रकार कैसा भी हो, आप अपने खान-पान पर नियंत्रण रखकर आंखों का रखरखाव कर सकते हैं:अपनी अमूल्य आंखें स्वस्थ व अच्छी दृष्टि बनाए रखने के सरल उपाय:
हरी पत्तेदार सब्जियों की सब्जी, जैसे पालक, गोभी, और विशेष रूप से मूली, गाजर, शलजम, धनिया व मेथी इत्यादि का सेवन करें।
अंडा व मछली का सेवन करें।
अखरोट, मूंगफली व अन्य का सेवन करें।
संतरे, नींबू और अन्य खट्टे फल या रस का सेवन करें।
आंखें की दृष्टि बनाए रखने के लिए निम्न से बचें:
कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी व अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की स्क्रीन पर कम से कम नजर डालेंधूम्रपान छोड़ें
धूप का चश्मा पहनें
आंखों की रोशनी बढ़ाने का तरीका
दृष्टि कमजोर होना आज की जीवन शैली में एक आम समस्या है। यहाँ कम आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों को भी कमजोर आंखों के कारण चश्मे का उपयोग करते देखा जा सकता है। गर्मी और मस्तिष्क की कमजोरी कमजोर दृष्टि का एक मुख्य कारण है। अधिक रोशनी या प्रकाश में निरंतर पढ़ना, पाचन विकार, असंतुलित खाने और भोजन में विटामिन ए की कमी भी कमजोर दृष्टि के लिए जिम्मेदार है। शराब के सेवन से भी आँखों पर प्रभाव पड़ता है।
उपचार
शुद्ध शहद को बूंद के रूप में आँख में डालें।
कमजोर दृष्टि के लक्षण
वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते वक्त आंख की मांसपेशियों में तनाव जिससे आंखों पर अत्यधिक तनाव और मांसपेशियां कमजोर होती हैं कमजोर आंख की मांसपेशियां आंख की दृष्टि समस्याओं का कारण बनती हैं
आंखों से धुंधला दिखना
आंख पर जोर का सबसे सामान्य कारण आंख पर बढ़ता काम का तनाव है। दुनिया में अधिकतर लोगो की आँखे लगातार किताबें पढने से, स्मार्टफोन या कंप्यूटर स्क्रीन पर तीव्र और लंबे समय तक एकाग्रता से देखने से आसानी से थक जाती हैं। बहुत लंबे समय के लिए कंप्यूटर स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करना भी आंख में तनाव पैदा कर सकता है। यह सच है कि टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन को लगातार घूरना आंखों के लिए अच्छा नहीं है। स्क्रीन को लगातार न देखना पड़े ऐसी कोशिश करो और हर मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखो। इसके अलावा आप चमक को कम करने के लिए अपने स्क्रीन सेटिंग्स समायोजित कर सकते हैं। लगातार अध्ययन करना पड़े तो बीच में समय निकालकर एक बार टहलने के लिए उठें और आसपास किसी वस्तु पर या अपनी आँखें किसी अलग कार्य पर केंद्रित करें, इससे आँखों को आराम रहेगा।
मुख्य कारण अधिक समय टीवी देखने में बिताना कंप्यूटर स्क्रीन पर पास से लगातार काम करना अत्यधिक पढ़ते रहना हवा में हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से नेत्र समस्याओं के लिए घरेलू उपचार
सौफ पाउडर और धनिया बीज पाउडर लेकर बराबर अनुपात का एक मिश्रण तैयार करें। फिर बराबर मात्रा में चीनी मिला लें। 12 ग्राम हर सुबह और शाम की खुराक में ले लो। यह मोतियाबिंद के साथ साथ कमजोर आँखों के लिए भी फायदेमंद है।
कमजोर दृष्टि के लोगों को हर रोज गाजर के जूस का सेवन करना चाहिए, इसका उत्तम लाभ मिलेगा।
धनिया के तीन भागों के साथ चीनी के एक भाग का मिश्रण तैयार करेंं। उन्हें पीस लें और उबलते पानी में इस मिश्रण को डालें और एक घंटे के लिए इसे ढककर रखें। फिर एक साथ कपड़े से इसे छानकर प्रयोग करें। यह नेत्रश्लेष्मलाशोध के लिए एक अमोघ इलाज है।
दूध में बादाम को भिगोकर उन्हें रात भर रखा रहने दें। सुबह इसमें चंदन भी मिलायेंं। इसे पलकों पर लगायेंं। यह नुस्खा आंखों की लालिमा को बिल्कुल कम कर देता है।
इलायची के दो टुकड़े लेंं। उन्हें पीसकर दूध में डालेंं और दूध को उबाल कर रात में पिएं। यह आंखों को स्वस्थ बनाता है।
आँखों की देखभाल के लिए आहार में विटामिन ए का शामिल होना अनिवार्य है। विटामिन ‘ए’ गाजर, संतरे और कद्दू, आम, पपीता और संतरे, नारंगी और पीले रंग की सब्जियों में पाया जाता है। पालक, धनिया आलु और हरी पत्तेदार सब्जियों, डेयरी उत्पादों तथा मांसाहारी खाध पदार्थ, मछली, जिगर, अंडे में विटामिन ए की उचित मात्रा होती है।
मोतियाबिंद का खतरा आहार में विटामिन सी लेने से कम हो जाता है। इसलिए अमरूद, संतरे, नीबू और टमाटर, शिमला मिर्च, गोभी, आदि के रूप में विटामिन सी युक्त खाध पदार्थ आहार में शामिल किया जाना चाहिए।
ब्लूबेरी दृष्टि बढाने के लिए और नेत्र हीन के लिए एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है। यह रात के समय की दृष्टि में सुधार करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि यह रेटिना के दृश्य बैंगनी घटक के उत्थान को उत्तेजित करता है। साथ ही, यह धब्बेदार अध; पतन, मोतियाबिन्द और मोतियाबिन्द के खिलाफ सुरक्षा करता है। पका हुआ फल ब्लूबेरी हर रोज आधा कप खाओ।
बादाम भी ओमेगा- 3 फैटी एसिड, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट सामग्री की वजह से दृष्टि में सुधार के लिए बहुत लाभदायक हैं। यह स्मृति और एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है। रात भर पानी में 5 से 10 बादाम भिगो दे। अगली सुबह छिलका उतारकर बादाम पीस लें। एक गिलास गर्म दूध के साथ इस पेस्ट को खाए। कम से कम कुछ महीनों के लिए इसे प्रयोग करो।
1 कप गर्म दूध मे आधा चम्मच मुलेठी पाउडर, ¼ छोटा चम्मच मक्खन और 1 चम्मच शहद अच्छी तरह मिक्स करके सोते समय इसे पिये। आँखो की रोशनी बढ़ाने में यह बहुत लाभदायक है। आंखों के व्यायाम – आंखों के व्यायाम अपनी आंख की मांसपेशियों को अधिक लचीला बनाने, आंखों के लिए ऊर्जा और रक्त प्रवाह में लाने और इष्ट्तम दृष्टि बनाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है।
यहाँ कुछ व्यायाम बताये जा रहे ताकि आपकी दृष्टि में सुधार हो सके:
एक हाथ की दूरी पर एक पेंसिल पकड़ कर उस पर ध्यान केंद्रित करे। धीरे-धीरे इसे अपनी नाक के करीब लाए और फिर इसे अपनी दृष्टि से आगे ले जाने के लिए नाक से दूर ले जाये। इस दौरान आप अपनी दृष्टि पेंसिल की नोक पर ही केंद्रित रखे। इसे एक दिन में 10 बार दोहराएँ।
कुछ सेकंड के लिए घड़ी की दिशा में अपनी आँखें गोल घुमाए, और फिर कुछ सेकंड के लिए विपरीत दिशा में घुमाए और इसे चार या पांच बार दोहराएँ।
अपनी आंखों के 20 से 30 गुना तेजी से बार-बार पलक झपकाये, अपनी आँखें फैलाएं और पलक बार बार झपकाते रहे। अंत में, अपनी आँखें बंद करो और उन्हें आराम दो।
थोड़ी देर के लिए एक दूर की वस्तु पर अपनी दृष्टि ध्यान लगाओ। अपनी आंखों के दबाव के बिना यह करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप चाँद को देखो और हर रोज तीन से पांच मिनट के लिए उस पर ध्यान केंद्रित करें।
इन आंखों के व्यायाम से अधिक उत्साहजनक परिणाम पाने के लिए कम से कम कुछ महीनों के लिए नियमित अभ्यास करें। आवश्यक सुझाव- हर रोज 2-3 बार पानी से अपनी आँखें धोएं। अपनी हथेलियों क़ो तब तक आपस में रगड़े जब तक वे गर्म न हो जाये और फिर अपने हथेलियों के साथ अपनी आंखों को ढके। यह आंख की मांसपेशियों को आराम में मदद करता है। आपके कंप्यूटर की स्क्रीन की चकाचौंध रौशनी को कम करकर रखे ताकि आँखों पर बुरा प्रभाव न पड़े।
आँखों को धूल, मिटटी और सूरज की तेज किरणों से बचाना चाहिए। लगातार काम करते समय बीच में आँखों को कुछ विश्राम देते रहे।
विभिन्न दृष्टि समस्याओं के लक्षण क्या हैं? प्रत्येक आँख समस्या के साथ जुड़े आम लक्षण इस प्रकार है- निकट दृष्टि दोष: इस दोष में निकट की वस्तुएँ तो साफ दिखाई देती है किन्तु दूर की वस्तुए धुधंली दिखाई देती है। दूर की वस्तुएँ देख पाने में व्यक्ति खुद को असमर्थ महसूस करने लगता है। दूर दृष्टि दोष: इस दोष में दूर की वस्तुएँ तो साफ दिखाई देती है किन्तु पास की वस्तुएँ धुंधली दिखाई देती है। निकट के काम करने में परेशानी होने लगती है, सब धुंधला सा दिखने लगता है। दृष्टिवैषम्य: इस दोष में किसी भी दूरी की वस्तु साफ दिखाई नही देती। धुंधलापन महसूस होने लगता है।
रेटिना टुकड़ी: जब अचानक से चमकती रोशनी आँखों पर पड़ती है तो उसके बाद दृष्टि में काले धब्बों का संयोजन होने लगता है। कुछ देर तक आँखों के सामने काले धब्बे दिखाई देते रहते है इसे रेटिना टुकड़ी दोष कहा जाता है। रंग अंधापन: रंग दृष्टि दोष में आमतौर पर रोगी रंगो में भेद करने में खुद को असमर्थ महसूस करने लगता है। रंगो के प्रति उनकी आँखे असंवेदनशील हो जाती है। रतौंधी: मंद प्रकाश में वस्तुओं को देख पाने में कठिनाई रतौंधी का एक संकेत है। यह अक्सर विटामिन डी की कमी से होता है। मोतियाबिंद: मोतियाबिंद विकास आम तौर पर एक क्रमिक प्रक्रिया है, आपका पहला लक्षण धुंधला दिखाई देने से सम्बंधित होता है। एक नियमित नेत्र परीक्षा के दौरान इसकी पहचान की जा सकती है।
लक्षणों में शामिल हैं
चमकदार रोशनी में आँखों से धुंधला दिखाई देना। -रात में कमजोर दृष्टि और कुछ भी देख पाने में कठिनाई –ऑटोमोबाइल हेडलाइट्स या उज्जवल सूरज की रोशनी से चकाचौंध या असहज चमक- पढने के लिए उज्जवल प्रकाश की जरूरत होना- रंग फीका या धुंधला दिखना – एक आंख में डबल या ट्रिपल दृष्टि (ओवरलैपिंग चित्र)- सामान्य रूप से अंधेरे पुतली के लिए एक दुधिया सफेद या अपारदर्शी उपस्थिति- दर्दनाक सूजन और आंख की भीतर दबाव
तिर्यकदृष्टि: इस दोष में आखें एक समन्वित पैर्टन में एक साथ स्थिर नही रहती। इस तरह की दृष्टि समस्याओं में व्यक्ति की एक या दोनों आँखे अक्सर रगड़ कर सकती है और भेंगापन हो सकता है। निम्नलिखित दृष्टि समस्याओं के बारे में तुरंत डॉक्टर को दिखाओ:
आपकी दृष्टि में प्रकाश की चमक के रूप में रेटिना टुकड़ी के लक्षण अनुभव होने पर आपको आंखों की दृष्टि की रक्षा करने के लिए तत्काल इलाज की जरूरत है। यदि आपको लग रहा है कि एक पर्दा अपनी दृष्टि का हिस्सा में उतारा जा रहा है। एक आँख से या दोनों आँखों से धुंधला दिखने पर तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करने की जरूरत है। यदि आप असामान्य रूप से उज्ज्वल प्रकाश के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं तो आपकी आंख (यूवाइटिस) के अंदर सूजन हो सकती है। तुंरत डॉक्टर से संपर्क करे। आँखों से लगातार पानी आने पर ऑख में संक्रमण का खतरा हो सकता है। यदि लगातार लेंस पहनने से आप असहज हो जाते हैं या लेंस हटाने पर भी आपको दर्द है तो कार्निया सूजन (स्वच्छपटलशोध), या एक कार्निया अल्सर हो सकता है। इसलिए तुंरत अपने चिकित्सक से परामर्श करे। आंख की कोई चोट भी आपकी दृष्टि को प्रभावित करती है, आपको आंतरिक रक्तस्त्राव या अपनी आंख के आसपास की हड्डी में फ्रैक्चर हो सकता है। यह एक आपातकालीन चिकित्सा है। आँखो में किसी भी प्रकार की लालिमा, जलन या दर्द की स्थिति में अपने नेत्र चिकित्सक से संपर्क करे।
कैसे करें दूर आंखों के नीचे का काला घेरा (डार्क सर्कल)
हम अक्सर देखते हैं कि हमारे आंखों के बाहर की त्वचा काली व आंखों के नीचे काला घेरा (डार्क सर्कल्स ) बन जाता है। यह लगभग हम सभी में आम बात है। इसके कई कारण होते हैं जैसे:
शरीर में पानी की कमी
मन में तनाव
धूप और प्रदूषण में अधिक समय तक रहना व अनियमित दिनचर्या।
हमारे लीवर में खराबी, शरीर में रक्त की कमी के कारण भी ऐसा हो सकता है।
कैसे हटाएं यह काला घेरा।
उचित खानपान व विटामिन की पूर्ति कर और प्राकृतिक हर्बल निर्मित क्रीम, कच्ची हल्दी का लेप, तेल उपयोग कर हम अपनी आंखें स्वस्थ रख सकते हैं और काले घेरे को हटा सकते हैं।
नींबू व टमाटर का रस मिलाकर आंखों के चारों ओर लगाएं।
तुलसी के पत्तों का रस, क्रीम लगाएं हर्बल टी (तुलसी, हल्दी, अदरक, पुदीना व आंवले का जूस) का सेवन करें।
फल व सब्जियों खाएं।
शरीर को तनावमुक्त रखें।
पर्याप्त नींद लें।
कुछ समय बात आपको पता लगेगा कि धीरे-धीरे डार्क सर्कल्स अदृश्य हो रहे हैं।
आंखों को विशेष लुक देने के तरीके....
महिलाएं साधारण मेकअप के जरिए ही अपनी तारीफ के पुल बांध सकती हैं। विशेष रूप से आंखों से! आंखें अधिक आकर्षक बनाने के लिए कुछ मेकअप करना होगा। त्वचा के अनुकूल क्लर का चयन करने से आपकी आंखें आपको खूबसरती की मिशाल बना सकती हैं।
उपयुक्त प्राइमर का चुनाव करें
1. आंखों के मेकअप का पहला टिप्स सही प्राइमर चुनना है। आपकी त्वचा व प्राइमर का मिलान होना चाहिए। प्रयास करें कि प्राइमर की परत पतली लगायी जाए।
2. आई शैडो भी लाता है आपकी आंखों में रंगत, यह भी आपकी त्वचा के मिलान का होना सुनिश्चित करें। हल्के रंग का आई शैडो लगाकर आज़माएं। अगर आपको कुछ नहीं लगता है, तो अधिक रंग शेड्स लगाएं।
3. मस्कारा भी है विशेष आंखों के मेकअप के लिए, इससे आंखों कुछ बड़ी सी दिखने लगती हैं।
4. आइलाइनर व काजल की आंखों के मेकअप में मुख्य भूमिका होती है। इसे चौड़ा करके लगाएं, तो बेहतर होगा और बॉटम में भी लाइन खींचना जरूरी है। विश्वास करें, आपकी आंखों की खूबसूरती से आपकी चेहरे में चार-चांद लग जाएंगे।
इस तरह बनाएं अपनी बॉडी के अनुसार मनपसंद नाक
आपकी नाक एक मर्मस्पर्शी अंग है व आपके फेफड़ों द्वारा ली जाने वायु का प्रवेशद्वार है। आपके लुक में इसकी इसका बहुत योगदान है। आपके देखा होगा कुछ व्यक्तियों के नाक की त्वचा में सर्कल बनने लगते हैं: इसके कारणों में मन में तनाव, अधिक समय तक कार्य करना व पर्याप्त नींद नहीं लेना शामिल है, जिसे आसानी से दूर किया जा सकता है। यदि आपको लगता है कि कहीं पर किसी तीव्र गंध से आपको एलर्जी हो रही है, तो उस अपनी नाक किसी साफ कपड़े या रूमाल से ढक दें, जिससे आपको परेशानी कम और विषैली गैसें आपके शरीर के अंदर नहीं पहुंच पाएंगी।
पुरूष हो या महिला, दोनों के लुक में नाक की अहम भूमिका होती है। छोटी नाक या लंबी नाक, जो भी हो, उससे चेहरे का लुक और अधिक अच्छा दिखता है। स्मार्टनेस बरकरार रखने के लिए हर अंग स्मार्ट होना चाहिए, तो नाक क्यों नहीं। तो आपको अपनी नाक से कुछ अटपटा सा लगता है या आपके शरीर की संरचना के अनुसार आपकी नाक अछिक छोटी या लंबी और मोटी या पतली है, तो इसका उपाय भी है, जिससे आप अपनी नाक पर नियंत्रण कर मनचाही नाक पा सकते हैं।
कैसे दें अपनी नाक को मनपसंद आकार!
यदि आपको लगता है कि आपकी नाक कुछ और लंबी होनी चाहिए, तो:
सुबह-सायं नाक में आगे की ओर स्ट्रेस डालने का प्रयास करें।
अपने हाथ की दो अंगुलियों से नाक पकड़ें और उसे आगे की ओर खींचें। यह प्रक्रिया रोज बार-बार दोहराएं।
इस तरह से आपकी नाक का आकार कुछ लंबा हो जाएगा।
अगर आपको लगता है कि आपकी नाक कुछ छोटी होनी चाहिए, तो:
सांस लेते हुए नाक को अंदर की ओर स्ट्रेस दें।
अपने हाथ की दो अंगुलियों से नाक पकड़ें और उसे अंदर की ओर दबाएं। यह प्रक्रिया रोज बार-बार दोहराएं।
इस तरह से आपकी नाक का आकार कुछ छोटा हो जाएगा।
चाहते हैं अधिक चौड़ी नाक को कुछ पतला बनाना:
सांस लेते हुए नाक को अंदर की ओर स्ट्रेस दें।
अपनी अंगुलियों या हथेलियों से चौड़ी नाक को पिचकाने का प्रयास रोज दोहराएं।
इस तरह से आपकी नाक कुछ पतली व लंबी हो जाएगी।
क्या आपकी नाक है अधिक पतली, जो आपके शरीर की संरचना के अनुसार अच्छी नहीं, तो:
अपने हाथ से रोज नाक दबाने का प्रयास करें।
संभव हो तो स्वयं अपनी नाक पर बॉक्सिंग खेलने का अभ्यास करें।
धीरे-धीरे आपको लगेगा कि आपका नाक चौड़ी व मोटी हो रही है।
कहीं आपकी नाक टेढ़ी तो नहीं है! मतलब नाक की हड्डी टेढ़ी होना आम बात है। इसमें आपको परेशान होने की जरूरत नही है। आप रोज हाथ से सीध में लाने का बार-बार प्रयास कर सकते हैं। अगर आपको अधिक जल्दी नाक की टेढ़ी हड्डी सीधी करनी है, तो मार्केट में इस तरह के उत्पाद भी उपलब्ध हैं, जिन्हें उपयोग कर आप जल्दी इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
क्या आपका पसंदीदा हेयरस्टायल आपके शरीर की संरचना के अनुकूल है? आओ, अपने सिर के बालों पर ध्यान दें!
मनुष्य के सिर के बाल उसके लुक को स्मार्ट दिखने में मदद करते हैं। भिन्न-भिन्न कद, शरीर की संरचना के अनुसार अलग-अलग प्रकार के हेयर स्टायल अलग-अलग व्यक्तियों की सुंदरता की शोभा बढ़ाते हैं, जैसे किसी को छोटे बाल व किसी को बड़े, तो किसी को मीडियम आकार में बाल अच्छे लगते हैं। विशेषरूप से, महिलाओं में सिर के बालों का अधिक महत्व है। आप लड़की हों, कोई मां, आपकी स्मार्टनेस काफी हद तक आपके हेयर स्टायल से पता चलती है। सिर के बालों की देखभाल आम बात नहीं है, इसके लिए अच्छा तेल, शैम्पू, साबुन, और अधिक स्टायलिश बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के क्लर, क्री, व लोशन की आवश्यकता होती है। सबसे बड़ी बात है, आपके बाल कितने घने और मजबूत हैं, जिससे उन्हें अलग-अलग प्रकार से मोड़कर आपके चेहरे को नया लुक दिया जा सके। प्राकृतिक रूप से बाल भिगाने से वे कोमल हो जातें हैं और उन्हें किसी भी तरह मोड़ा जा सकता है।आइए जानें सिर के बाल कैसे रखें स्वस्थ!
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके सिर के साथ-साथ पूरा शरीर स्वस्थ होना चाहिए, जिससे सिर में उपयुक्त बिटामिन और प्रोटीन मिलने से बालों को उपयुक्त पोषण मिलता रहे और सदाबहार स्वस्थ रहें। इनकी देखभाल में महत्वपूर्ण जानकारी होनी अनिवार्य है, क्योंकि कोई भी अनुचित सामग्री उपयोग करना बालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। सिर के बालों की देखभाल में उपयोग किए जाने वाली सामग्री रसायनमुक्त होनी चाहिए, जिससे आपको लाइफ में बालों से संबंधित कोई समस्या न हो।
सिर के बालों के लिए उपयुक्त तेल: सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा उपयोग किया जा रहा तेल प्राकृतिक सामग्री / नेचुरल हर्बल्स से तैयार किया गया है।
सिर के बालों के लिए उपयुक्त शैम्पू: इसे उपयोग करने में बहुत अधिक सावधानी बरतें, कभी भी रसायनयुक्त कोई भी शैम्पू उपयोग न करें।
सिर के बालों के लिए उपयुक्त साबुन: आधुनिक दुनियां में विभिन्न प्रकार के अलग-अलग रसायनयुक्त साबुन उपयोग करने से पहले जांच लें, साबुन प्राकृतिक तत्वों से निर्मित व रसायनमुक्त होना सुनिश्चित करें।
हमारे दांत
स्वस्थ शरीर के संकेतक स्वस्थ दांतहमारे मुंह / या जबड़ों में स्थित छोटे, सफेद रंग की संरचनाओं को दांत कहा जाता है, जो बहुत से कशेरुक प्राणियों में पाए जाते हैं। दांत प्रत्यक्ष रूप से खाना चबाने, बोलने में उपयोग किए जाते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष रूप में ये हमारे चेहरे की सुंदरता बढ़ाते हैं। सामान्य रूप में हड्डी जैसे दिखने वाले दांत मसूड़ों से ढ़की होतीं हैं। ये दांत विभिन्न प्रकार के ऊतकों से बने होते हैं। मनुष्य के लुक की सुंदरता भी बहुत कुछ दंत या दाँत पंक्ति पर निर्भर है। मुंह खुलते ही दांत दिखते हैं, जो मनुष्य की शोभा बढ़ाते हैं। इस प्रकार भोजन चबाने के साथ-साथ सौंदर्य साधन के रूप में दांतों का हमारे शरीर में महत्वपूर्ण योगदान है।
आओ, दंत रोग के बारे में जानें
दांत मनुष्य या किसी भी जीव को जीवनभर के लिए मिलते हैं। देकिन अक्सर यह देखा गया है कि विशेष रूप में मनुष्य में विभिन्न प्रकार के प्रतिकूल खानपान से दांत समय से पहले खराब हो जाते हैं और शरीर को बहुत अधिक तकलीफ सहन करनी पड़ती है। दांतों की उचित देखभाल नहीं करने के परिणामस्वरूप दांतो में कई रोग लग जाते हैं, जैसे: पायरिया: हमारे मसूड़ों में होने वाला सबसे गंभीर रोग पायरिया है, जिससे मसूड़ों में सूजन होता है, और उचित इलाज नहीं होने पर दांत गिरने लगते हैं। दांतों की इस बीमारी में एक बैक्टीरिया पैदा होता है, जो दांतों को धीरे-धीरे नष्ट कर देता है।
कैसे करें अपने दांतों की देखभाल!
दांत स्वस्थ रखने के लिए उनकी देखरेख आवश्यक है, जो निम्न प्रकार से की जा सकती है:
• रोज सुबह-शाम दंतमंजन, ब्रश से सफाई व मसूड़ों की मालिश।
• संतुलित आहार व अच्छा पोषण वाले खाद्य पदार्थों की सेवन करना, जैसे विटामिन ए, डी, सी व फ्लोरीनयुक्त भोजन।
• दांतों के व्यायाम के लिये सख्त चीजें, जैसे गन्ना, कच्ची सब्जियाँ, फल आदि खाना।
• अधिक गर्म या ठंडी वस्तुओं का सेवन न करें
• खाना चबाने में मुंह के दोनों तरफ के दांत उपयोग करें
• हमेशा सॉफ्ट टूथब्रुश उपयोग करें
• चिकित्सक से परामर्श लें
मानव शरीर में मर्मस्पर्शी अंग होंठ
आप कितने स्वस्थ हैं, आपके शरीर में कितनी एनर्जी है, बताते हैं आपके होंठ
हमारे शरीर के दृश्य अंग होंठ भोजन का सेवन के लिए खोलने और अपने शब्द व्यक्त करने में उपयोग होने के साथ-साथ ये शरीर की खूबसूरती में चार-चांद लगाते हैं। अपने बच्चे हों या प्रेमिका, उन्हें प्यार करने व चुंबन देने भी उपयोग में आते हैं। होंठों को कभी भी शुष्क न रहने दें। अपने होंठ हमेशा भीगे-भीगे व गीलें बने रहें, अधिक गर्मी व ठंड से बचें।
कैसे रखें होंठों की देखभाल
• अपने होठों पर जीभ न लगाएं।• होंठों पर मरहम लगाएं।
• रसायनयुक्त मरहम कभी भी होंठों में न लगाएं।
• कठोर या सख्त चीजें कभी भी होंठों के संपर्क में न लाएं।
• फैशन की इस दुनियां में अधिक स्टायलिश बनने के लिए होंठों में लिपिस्टिक कम से कम उपयोग करें, व सुनिश्चित करें कि लिपिस्टिक उचित प्रकार के हर्बल पदार्थों से बनी है।
क्या आपके गाल में भी है काला तिल!
आपके गाल में कहीं पर तिल है, तो फिर आपकी सुंदरता के क्या कहने, चर्चा होती है, आपकी सुंदरता की! स्त्री हो या पुरूष दोनों के शरीर के किसी भी भाग में तिल होने के अनके अर्थ लगाए जाते हैं, चाहे वे सुखी या दुखी जीवन के हों, ये सब भ्रांतियां हैं। हां, इतना जरूर है कि अगर किसी के भी गाल में तिल हो, तो उसकी खास पहचान होती है सुंदरता की दृष्टिकोण से। क्योंकि जिसके गाल में तिल होता है, वह अन्य की अपेक्षा सुंदर दिखता/दिखती है। आप किसी भी जाति, धर्म के किसी भी देश के वासी हों, इस बात बिल्कुल नकारा जा सकता है कि अगर आपके गालों में तिल है, तो आप औरों की अपेक्षा सुंदर दिखते हैं।सुंदरता की बात होने पर चेहरे पर काले तिल को भला कोई भूल सकता है, थोड़ा मुश्किल सा लगता है। क्योंकि चेहरे पर काले तिल के कारण दुनिया भर की कई लेडीज की पहचान ब्यूटी क्वींस के रूप में हुई है। ये तो किस्मत की बात है कि काला तिल किस्मत वाले में ही होते हैं, परंतु आधुनिक तकनीकी दुनियां में कृत्रिम टैटू बनाकर शरीर को सुंदर रूप दिया जा सकता है। क्या आप भी चाहते हैं शरीर के किसी भाग में टैटू! किसी सौंदर्य विशेषज्ञ की मदद से आप कृत्रिम तिल या टैटू बनवा सकते हैं। अस्थाई रूप से काजल या आंख लाइनर उपयोग कर स्वयं कृत्रिम तिल बनाया जा सकता है।
हमारी जीभ
हमारे मुख के तल पर स्थित पेशी, जीभ भोजन चबाने और निगलने का कार्य आसान बनाती है। जीभ से ही हमें हमारे खाद्य पदार्थों के स्वाद का अनुभव होता है, इसके साथ जीभ हमारे स्वर / आवाज को नियंत्रित करती है।
शरीर में आंतरिक बीमारी या हो सकने की बीमारी के लक्षणों का पता चलता है हमारी जीभ से
जीभ देखकर पता चलता है कि शरीर में कुछ बीमारियां तो नहीं हैं, जैसे पेट की बीमारी व कैंसर। इसी कारण चिकिसक मरीज की जीभ देखते हैं। जीभ में दिखने वाले सफेद, लाल धब्बे, छाले पाचन त्रंत उचित तरीके से नहीं होने के कारण अक्सर ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं। रोज मुंह की उचित रूप में सफाई रखने से इस तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। मसालेदार भोजन करने से बचें। जीभ में लाल धब्बे शरीर में फॉलिक एसिड, विटामिन-बी12 या आयरन की कमी, बुखार या गले में इंफेक्शन के कारण हो सकते हैं। चिकित्सक से परामर्श कर उचित विटामिन युक्त भोजन लें। माउथवॉश उपयोग में लाएं।
हमारे शरीर में गालों का महत्व
क्यों होते हैं पिचके हुए गाल:
शरीर में पोषण की कमी।
गलत व सही समय पर खानपान न होना।
पानी की कमी।
धूम्रपान का अधिक सेवन करना।
शरीर में कोई या अनके बीमारियां होना।
उचित व्यायाम नहीं करना
गाल अनेक प्रकार से भरे जा सकते हैं, मतलब इन्हें सुंदर और मोटा किया जा सकता है।
आप सीधा बैठकर अपना मुंह खोलें, फिर मुंह के दोनों किनारों को दोनों हाथों से बार-बार खीचें।
हर रोज अपने गालों को बार-बार गुब्बारे की तरह फुलाने का प्रयास करें।
दोनों गालों पर चूंटी काटें।
बादाम व सरसों के तेल से गालों की मालिश करें।
धूम्रपान, तम्बाकू और शराब का सेवन न करें।
आवश्यक नींद लें।
फल, जूस व हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं।
अधिक से अधिक पानी पीएं।
क्या आप सोचते हैं कैसे बनाएं गर्दन लंबी और सुंदर
इंसान के शरीर में सुराहीदार गर्दन से चेहरा और अधिक अट्रैक्टिव हो जाता है। इसके लिए सबसे जरूरी है दैनिक रूप से व्यायाम, जिससे गर्दन का आकार अच्छा व चेहरा सुंदर दिखता है। विशेष रूप से महिलाओं में मोटी गर्दन होना अच्छा नहीं दिखता, जिससे गर्दन में झुर्रियां पड़ने लगती हैं। इसलिए सर्वाधिक लाभदायक उपाय उचित रूप के व्यायाम करना है।
क्या आपके मुंह से भी आती है दुर्गंध
लोग बाहर से कितने भी बने-ठने हों, लेकिन उनके मुंह से दुर्गंध आती है, तो मतलब उनके इस तरह शौन-शौकत का कोई महत्व नहीं रह जाता है, इन लोगों के पास दूसरे अन्य व्यक्ति न तो जाना पसंद करते हैं, न ही इनसे बातें करते हैं। इन लोगों को स्वयं ग्लानि की अनुभूति होती है।
इसका मुख्य कारण:
1. दांतों में कीड़े लगना, मसूडे सड़ना, पायरिया होना
2. आंतें सड़ना
3. पेट में विषैली गैस बनना
ये समस्याएं दूर कर मुंह से बदबू आना रोका जा सकता है।
कैसे करें इसका इलाज:
1. नेचुरल हर्बल्स, जैसे हल्दी, अदरक व नींबू का सेवन पानी के साथ करने से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
2. तुलसी, पुदीने के पत्ते खाएं। 3. इसके अतिरिक्त लौंग, इलायची, सौंफ़ भी उपयोग किया जा सकता है।
कैसे बनाएं अपने संपूर्ण शरीर की त्वचा को कोमल, सुंदर और रोगमुक्त
कच्ची हल्दी का लेप बनाएं और त्वचा पर लगाएं
कच्ची हल्दी को बारीक पीसकर अपने चेहरे या पूरे शरीर की त्वचा पर महीने में करीब एक दो बार लगाने से आपकी त्वचा कोमल और रोगमुक्त होती है, कोई भी खुजली, फुंसी व अन्य प्रकार का कोई भी दाग लगना गायब हो जाता है। आपका चेहरा फूल सा खिलने लगता है। जरूर आजमाएं। ऐसा करना न सिर्फ चेहरे को सुंदर बनाने वरन त्वचा को रोगमुक्त करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
जीरो फिगर होना या स्लिम बनना पसंद है!
अक्सर देखा जाता है कि भारतीयों की अपेक्षा वेस्टर्न सोसाइटीज की स्त्रियां अधिक स्लिम होती हैं, जबकि वे अक्सर ड्रिंक भी करती हैं, जबकि भारतीय स्त्रियां ड्रिंक नहीं के बराबर करती हैं। भारतीय महिलाओं के लिए सुझाव है कि वे पूरा समय परिवार को न देकर कुछ समय अपने शरीर के काम में भी लाएं। भले ही खान-पान कैसा भी हो, दैनिक व्यायाम करने से जीरो फिगर ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य भी स्वस्थ रहता है। इसलिए देर किस बात की...आप भी बन सकती हैं स्लिम:1. जब भी समय मिले, व्यायाम करें, सुबह व सायं समय निकाल सकें, तो व्यायाम सुबह या सायं को करना बेहतर है।
2. हाथों व पैरों को स्ट्रेस दें मतलब इन्हें खींचें, इनमें जोर डालें, जिससे इनमें तनाव होगा।
3. अपनी सुविधा के अनुसार घर में किसी पार्क में लेटकर पूरे शरीर में तनाव दें। 5. फिर दाएं-बाएं कुछ दूरी तक उलट-पलट करें मतलब पूरे शरीर के साथ लुढ़कें।
आपको आश्चर्य होगा, आपकी हाइट बढ़ेगी, पेट कम होगा व वजन घटेगा।
क्या आपकी दाढ़ी या मूछ के बाल कम हैं मतलब घनी दाढ़ी व मूछें रखना चाहते हैं
सर्वाधिक संभावना है कि यह हार्मोंस असंतुलन की वजह है। चेहरे पर दाढ़ी और मूछों के बाल कम होना या इनकी ग्रोथ कम होने से चेहरा अच्छा नहीं लगता है। दाढ़ी बढ़ाकर रखने का फायदा यह है कि त्वचा में अल्ट्रावॉयलेट किरणों से होने वाले रोग या कैंसर का जोखिम होता है। भोजन में विटामिन बी की मात्रा कम होने से बाल की ग्रोथ कम होती है। धूम्रपान करने से भी घनी दाढ़ी और मूंछों का सपना पूरा नहीं हो पाता है, क्योंकि बीड़ी, सिगरेट में मौजूद निकोटिन से रक्त संचरण / ब्लड सर्कुलेशन की गति धीमी हो जाती है और बहुत से लोगों में बाल गिरने की समस्या भी होती है। कम दाढ़ी और मूछों की समस्या को चेहरे पर मौजूद डेड स्किन सेल्स हटाकर व नियमित रूप से शेविंग कर, प्रोटीन युक्त पदार्थों का सेवन कर, पर्याप्त नींद लेकर व तनाव रहित रहने से दूर किया जा सकता है। चेहरे की मसाज करना भी बहुत सहायक है, क्योंकि इससे रक्त संचरण बढ़ता है। दालचीनी पीसें व इसमें नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें। पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं, थोड़ी देर तक लगाए रखें, फिर मुंह धो लें। इससे चेहरे में नमी बने रहने से दाढ़ी-मूछों के बाल अधिक बढ़ते हैं।
ये क्या, आप अपने शरीर में विशेष रूप से चेहरे पर उग रहे अनचाहे बालों से परेशान हैं!
शायद आपके शरीर में एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ रही है। कई महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण मुंहासे, अनचाहे बालों की समस्या हो जाती है। एण्ड्रोजन प्रजनन अंगों और अधिवृक्क ग्रंथि द्वारा उत्पादित हार्मोन हैं, जिनके कारण महिलाओं में पुरुषों के जैसे लक्षण दिखते हैं। ये हार्मोन महिला और पुरुष दोनों में भिन्न-भिन्न मात्रा में पाए जाते हैं। कभी-कभी महिलाओं के शरीर की आंतरिक प्रणाली में असंतुलन होने से इन हार्मोन्स का स्तर अधिक हो जाता है, तो स्त्रियों में पुरूषों के जैसे लक्षणों का विकास होने लगता है। अधिक एण्ड्रोजन स्तर से महिलाओं के शरीर में बाल, मुँहासे, मासिक धर्म अनियमितता, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, प्रजनन की समस्याएं व कुछ परिस्थितियों में यौन रोग भी होते हैं। इसका प्राकृतिक रूप से उपचार करने के लिए स्वस्थ आहार, उचित व्यायाम कर व टेंशन दूर करने की सलाह दी जाती है।महिलाओं में एंड्रोजन का स्तर कम करने के कुछ प्राकृतिक उपाय:
नियमित व्यायाम
शरीर मैं मौजूद वसा घटाकर इस तरह की हार्मोन अनियमितता से छुटकारा पाया जा सकता है।
शुगर और अनहेल्दी कार्बोहाइड्रेट्स की कमी कर एंड्रोजन स्तर कम होता है। इंसुलिन की अधिक मात्रा से महिलाओं में ये पुरूषों के हार्मोन विकसित होते हैं। भोजन, व्यायाम और पूरक पदार्थों से महिलाओं में एण्ड्रोजन हार्मोन पर नियंत्रण करने में मिलती है।
नहीं चाहिए मुझे अंडरआर्म हेयर, बिल्कुल सही कहा आपने!
विशेष रूप से आज की आधुनिक दुनिया में महिलाएं तो बिल्कुल नहीं चाहती हैं अंडरआर्म हेयर, और परेशान सी रहती हैं इन बालों से छुटकारा पाने की वजह से। हालांकि रसायनयुक्त विभिन्न कंपनियों के अपने उत्पाद पेश कर रही हैं, परंतु कहीं न कहीं इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं, जैसे त्वचा में संक्रमण। इस समस्या का एक प्राकृतिक समाधान निकाला है, जिससे पुरूष हों या महिला, सभी अपने अंडरआर्म हेयर या अन्य अवांछित हेयर से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। आसान तरीका है:
1. एक नींबू लें और दो चम्मच रस एक बर्तन में डालें।
2. इस रस में एक चम्मच शक्कर मिला दें।
अब नींबू के रस और शक्कर का मिश्रण बनाएं और सीधे अंडरआर्म में लगाएं। इसके बाद 5-10 मिनट तक इसे लगाए रखें, फिर एक साफ कपड़े से साफ करें। यह प्रक्रिया सप्ताह में 1-2 बार करें। बहुत जल्दी आप अंडरआर्म से छुटकारा पाएंगे।
आप मोटी कमर व पेट से परेशान तो नहीं हैं!
आइए जानें, पेट व कमर का आकार कम करना
आपकी कमर का आकार अधिक तो नहीं है और इस वजह से आप मोटे दिखते हैं। पुरूषों में और महिलाओं में अक्सर ये देखा गया है कि कमर का आकार अधिक होने का मतलब है कि आपका पेट भी बड़ा होगा। बड़े पेट का मतलब कोई न कोई बीमारी है। इसमें बहुत सावधान होना होगा। देखिए, आप और से अलग दिखते होंगे, इस पेट व मोटी कमर के कारण। और अंदर से आपके शरीर में बहुत सारी बीमारियां हो सकती हैं। पेट बड़ा होने से आपका वजन भी अधिक होगा और आप एक चुस्त इंसान की तरह न तो अपने दैनिक कार्य कर सकते हैं, न ही अच्छी तरह से सांस ले सकते हैं। पेट बड़ा होना सारी बीमारियों की जड़ है।
कैसे करें पेट व कमर का आकार कम:
1. सबसे पहले तो आपको व्यायाम करना जरूरी है, व कम से कम सुबह-सायं पैदल चलना है। 2. समय निकालकर व्यायाम करना शुरू कर दें, वरना आने वाले दिनों में आप अपने शरीर से ही परेशान हो जाएंगे। अगर आप जल्दी पैदल चलना, व्यायाम शुरू कर देते हैं, तो क्या होता है आपके शरीर के साथ जानें: 1. आपका वजन कम होने लगता है। 2. कमर व पेट दोनों का आकार कम होता है।
सर्वाधिक अचूक उपाय पेट कम करने का:
आप अपने घर में ही फर्श पर एक चटाई बिछाकर अपने हाथ-पांव फैलाकर लेट जाएं व अपनी क्षमता के अनुसार पूरे शरीर में तनाव दें यानि कि शरीर खींचें। उसके बाद शरीर खींचे हुए स्थिति में कुछ दूरी तक दाएं-बाएं लुढ़कें। यकीन मानिए, यदि आप यह व्यायाम दैनिक रूप से करते हैं, तो आपको बहुत कम समय में ही ये परिणाम दिखेंगे: 1. पेट व कमर का आकार कम होना 2. आपकी लंबाई में वृद्धिलहसुन खाने से केवल स्वाद ही नहीं बढ़ता, बल्कि यह दवा भी है!
लहसुन को अपने दैनिक खानपान में सब्जी व दाल में मिलाने से खाने का स्वाद (टेस्ट) बदल जाता है और शरीर की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। कहते हैं लहसुन बूढे व्यक्ति में जोश भर देता है, बिल्कुल सही बात है, यह इतना गुणकारी है कि बुजुर्ग व्यक्तियों की जीने की लालसा और बढ जाती है और उन्हें अपने जीवन में जोश व स्पूर्ति का एहसास होता है। कई रोग जैसे, बवासीर, कब्ज, कान का दर्द, दांत का दर्ज, ब्लड प्रेशर नियंत्रण आदि में भी लहसुन का योगदान रहता है। इसलिए इसे एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक कहा जाता है।
प्राकृतिक हर्बल औषधि है लहसुन:
दांत दर्द को कहें बाय-बाय: अगर कभी आपको दांतों में दर्द हो या आप चाहते हैं कि दांतों में दर्द की संभावना बिल्कुल न रहे, तो प्रभावित दांत पर लहसुन पीसकर लगाएं और दर्द से छुटकारा पाएं।
ब्लड प्रेशर पर लगाए लगाम:
इस नेचुरल हर्बल का सेवन करने से रक्त संचरण नियमित होने के साथ-साथ हृदय संबंधी विकार शरीर से दूर हो जाते हैं।
पेट की सफाई: लहसुन पेट संबंधी बीमारियों को दूर करता है। इससे पेट में मौजूद विषाक्त पदार्थ गल जाते हैं और मल-मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
इसलिए कहते हैं रोज करें सेवन इस प्राकृतिक हर्बल का क्योंकि:
यह करता है आपके नसों की झनझनाहट को दूर:
खाली पेट लहसुन खाने से नसों में हो रही या हो सकने वाली झनझनाहट आपके शरीर से दूर होती है।
कोलेस्ट्रॉल कम करें: लसहुन शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा के स्तर को नियंत्रित करता है।
भूख बढ़ाएं: आपको भूख नहीं लगने की स्थिति में इसके सेवन से आपको नियमित रूप से भूख लगने लगती है और पाचन त्रंत्र मजबूत होता है।
श्वसन तंत्र पर पाएं नियंत्रण: लहसुन का सेवन करने से आपका श्वसन तंत्र मजबूत, और अस्थमा, निमोनिया, जुकाम व कफ के छुटकारा मिलता है।
अपना हृदय रखें स्वस्थ: लहसुन खाकर धमनी में लचीलापन बनाए रखें, जिससे हृदय के अनिवार्य फ़ंक्शन कार्य करते हैं और आपका दिल हमेशा के लिए स्वस्थ बना रहता है।
कैसे होती है शरीर में खून की कमी, आइएं जानें शरीर में खून की कमी के कारण
आज की व्यस्त जीवन में इंसान पैसे के पीछे भाग रहा है, जिससे वह अपने उचित खानपान पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। दौड़भाग व मश्तिष्क में तनाव होने के कारण हमारे शरीर के ब्लड में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सफेल कण व लाल कण से बना हुआ रक्त बनना कम हो रहा है। शरीर में उचित पोषक तत्वों के अभाव में आयरन की कमी हो जाती है, जिससे लाल कण बनना रूक जाता है, और हम लोग हो रहे हैं एनीमिया बीमारी से पीड़ित। दूसरे शब्दों में यही खून की कमी है।
कैसे जानें, शरीर में खून की कमी है
खून की कमी होने से भूख ना लगना, उदास सा रहना चेहरे की चमक कम होना, और बिना कोई परिश्रम के शरीर में थकान होना, पैदल चलने में चक्कर आना और इत्यादि जैसे लक्षण अनुभव होते हैं। शारीरिक रुप से कमजोर व्यक्ति में खून की कमी होने की अधिक संभावना होती है।
कैसे करें खून की कमी दूर
हम अनार का रस / जूस पीने के अतिरिक्त विभिन्न फल, गाजर, टमाटर व शलजम के जूस का सेवन कर अपने शरीर में खून की कमी दूर कर सकते हैं।
कैसे रहें हेल्दी, फिट, स्मार्ट, स्वस्थ
आइए ऐसे बढाएँ अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता मनुष्य का शरीर हर रोज कई प्रकार की बीमारियों के वाहक जीवाणुओं के हमले झेलता रहता है। इन जीवाणुओं को तभी रोका जा सकता है, जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है। हालांकि आज की लाइफस्टाइल के कारण होने वाली बीमारियों का असर सभी देशों में देखा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिर्पोट के अनुसार लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां दूसरे देशों के मुकाबले भारत में ज्यादा खतरनाक है। अनहेल्दी वर्कप्लेस में होने वाली बीमारियों में हृदय रोग, डाइबिटीज, स्ट्रोक और कैंसर प्रमुख हैं।
कैसे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं जल- जल एक प्राकृतिक औषधि है। प्रतिदिन प्रचुर मात्रा में जल के सेवन से शरीर में जमा कई प्रकार के विषैले तत्व मूत्र विर्सजन के साथ शरीर से बाहर निकल जाते हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है।
सामान्य तापमान का पानी या फिर गुनगुना पानी पीएं। फ्रिज के पानी के सेवन से बचें।
अधिक से अधिक मात्रा में पानी का सेवन करें, शरीर में मौजूद पानी शारीरिक और मानसिक शक्ति बढाने में मदद करता है। अपने साथ एक पानी की बोतल हमेशा रखें, पानी की बोतल पास में होगी तो बार-2 उठकर जाना नहीं पड़ेगा और आप आसानी से बार-2 पानी पी सकेंगे।
ऑफिस में दिनभर काम के दौरान आठ गिलास पानी पीना काफी होगा। पानी की जगह दूसरे सपलीमेंट जैसे नींबू पानी और नारियल पानी भी ले सकते हैं।
रसदार फल- संतरा, मौसमी आदि रसदार फलों में भरपूर मात्रा में खनिज लवण तथा विटामिन सी होता है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप चाहें तो पूरा फल खायें या रस निकालकर पियें, रस में शक्कर या नमक नहीं मिलायें।
गिरीदार फल- सर्दी के मौसम में गिरीदार फलों का सेवन फायदेमंद होता है। इन्हें रात भर भिगाकर सुबह दूध या चाय के साथ, खाना खाने से आधा घंटे पहले खाने से लाभ होता है।
अंकुरित अनाज-
अंकुरित अनाजों (जैसे मूंग, मोठ, चना आदि) तथा भीगी हुई दालों का भरपूर सेवन करें। अंकुरित करने से अनाजों में उपस्थित पोषक तत्वों की क्षमता बढ जाती है, ये स्वादिष्ट, पौष्टिक और पचाने में आसान होते हैं।हेल्दी स्नैक्स-
ऑफिस में भूख लगने पर जंक फूड, समोसे, कचौड़ी खाने से अच्छा है, घर से निकलते समय ऑफिस बैग में फल या अंकुरित दालों से बना हेल्दी स्नैक्स रख सकते हैं।सलाद –
भोजन से साथ सलाद का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। भोजन का पूर्ण पाचन हो इसके लिए सलाद का सेवन जरूरी है। सलाद में ककड़ी, टमाटर, मूली, गाजर, पत्तागोभी, प्याज, चुकंदर आदि को शामिल करें। सलाद में नमक ना डालें, इनमें प्राकृतिक रूप से उपस्थित नमक ही काफी है।चोकर सहित अनाज- अनाजों का इस्तेमाल चोकर सहित करें इससे कब्ज नहीं होगी तथा प्रतिरोध क्षमता दुरूस्त रहेगी।
तुलसी- तुलसी का बहुत धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ यह एंटीबायोटिक, दर्द निवारक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी फायदेमंद है। रोज सुबह तुलसी के 3-4 पत्तों का सेवन करें।
योग-
शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने में योग व प्राणायाम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।किसी स्पेस्लिस्ट से सीखकर प्रतिदिन घर पर इनका अभ्यास करें।
हँसिए
हंसने से रक्त संचार सुचारू होता है व ऑक्सीजन अधिक मात्रा में शरीर में प्रवेश करती है। तनावमुक्त होकर हंसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है।
विटामिन और मानव शरीर में इसके फायदे और नुकसान
विटामिन- भोजन के वह अवयव है जिनकी सभी जीवों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है, रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। जो यौगिक शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक हो उसे विटामिन कहते हैं। विटामिन निम्न प्रकार के होते हैं।
विटामिन ए-
विटामिन ए ऑखों की दृष्टि को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। साथ ही यह ऑखों को बीमारियों से भी बचाता है। यह विटामिन शरीर के कई अंगों की वृद्धि सामान्य रूप से बनाए रखता है जैसे- स्किन, बाल, नाखून, ग्रंथि, दांत, मसूड़े और हड्डियॉ। विटामिन ए की कमी से रतौंधि रोग हो सकता है जिससे अंधेरे में कम दिखाई देता है। आंखों में पानी की कमी से आंखे सूख जाती है और उसमें घाव भी हो सकता है। बच्चों में विटामिन ए की कमी से शरीर का विकास भी रूक जाता है, त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक भी चली जाती है। इसकी कमी से संक्रमित बीमारी होने की संभावना भी बढ जाती है।
विटामिन बी-
यह विटामिन से शरीर को जीने की शक्ति देने के लिए आवश्यक होता है। इसकी कमी से शरीर में कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। विटामिन बी के कई विभागों की खोज की जा चुकी है, ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स कहलाते हैं। विटामिन बी कॉम्पलेक्स 120 सेंटीग्रेट तक की गर्मी को सहन करने की क्षमता रखते हैं। उससे ज्यादा तापमान यह सहन नहीं कर पाते हैं और नष्ट हो जाते है। यह विटामिन पानी में भी घुल जाते है, इनका प्रमुख कार्य स्नायु को स्वस्थ रखना तथा भोजन के पाचन क्रिया में योगदान देना है। इनसे भोजन को ग्रहण करने की मात्रा में वृद्धि होती है, यह विटामिन खाए गए भोजन से शरीर को अधिक ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। क्षारीय पदार्थों को मिलाने से यह विटामिन बिना किसी ताप के नष्ट हो जाता है पर अम्ल के साथ उबाले जाने पर भी ये नष्ट नहीं किया जा सकता है। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के निम्न स्त्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है- टमाटर, चोकर सहित गेहु का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियों के साग, बादाम, अखरोट, बिना पालिश किया चावल, पौधों के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल जिगर वनस्पति साग सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्का, चना नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चावल की भूसी, फलदार सब्जियॉ आदि।विटामिन बी कॉम्पलेक्स की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग-
हाथ पैरों की उंगलियों में झनझनाहट होना, मस्तिष्क की स्नायु में सूजन व दोष होना, पैर ठंडे व गीले होना, सिर के पिछले भाग में स्नायु दोष हो जाना, मांस पेशियों का कमजोर होना, हाथ पैर के जोड़ो का अकड़ना, शरीर का वजन घट जाना, नींद कम आना, महामारी की खराबी होना, शरीर पर लाल चकती निकलना, दिल कमजोर होना, शरीर में सूजन आना, सिर चकराना, नजर कमजोर होना, पाचन क्रिया में कमी होना।
विटामिन सी-
विटामिन सी को एसकोरबिक अम्ल के नाम से भी जाना जाता है। यह विटामिन शरीर के विभिन्न अंगों की वृद्धि में सहायक है। यह शरीर के रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाता है। इसके एंटीहिस्टामीन की उपलब्धता के कारण यह सामान्य सर्दी-जुकाम में दवा का काम करता है। इसकी कमी से मसूड़ो से खून निकलता है, दांतों में दर्द हो सकता है, दांत ढीले हो सकते हैं, निकल भी सकते हैं। चोट लगने खून अधिक मात्रा में निकल सकता है। विटामिन सी की ज्यादा कमी होने से स्कर्वी रोग हो सकता है। इसकी कमी से शरीर के विभिन्न अंगों में जैसे- गुर्दे, दिल, व अन्य जगह एक अलग प्रकार का पथरी हो सकता है। यह पथरी ओक्सलेट क्रिस्टल की बनी होती है। इससे पेशाब में जलन या दर्द हो सकता है या पेट भी खराब हो सकता है। खून में कमी या एनिमीया भी हो सकता है। नारंगी, सिटरस फ्रूटस, खरबूजा जैसे फल विटामिन सी के अच्छे स्त्रोत हैं।
विटामिन डी-
इस विटामिन को दो अन्य नाम से भी जाना जाता है- विटामिन डी2 या अर्गोकैलिस्फेरॉलविटामिन डी3 या कोलेकेलसीफेरोल
यह विटामिन हड्डियों की वृद्धि और उन्हें मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह विटामिन शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है। कैल्शियम की कमी से हड्डियॉ कमजोर हो जाती हैं और टूट भी सकती हैं। बच्चों में इसकी कमी से हड्डियॉ टेड़ी भी हो सकती हैं, इस बीमारी को रिकेटस कहा जाता है और व्यस्क लोगों में हड्डी के मुलायम हो जाने को ओस्टीयोमलेशिया कहा जाता है। हड्डियों के पतला और कमजोर हो जाने को ओस्टीयोपोरोसिस कहते हैं। इससे शरीर के विभिन्न अंगों जैसे कि गुर्द, दिल, खून की नसों व अन्य जगह एक प्रकार का पथरी हो सकता है, जो कैलिश्यम का बना होता है। इससे बल्ड प्रेशर रक्तचाप बढ़ सकता है। खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो सकती है और दिल पर प्रभाव पढ़ सकता है। शरीर कमजोर होना, चक्कर आना और सिरर्दद भी हो सकता है। पाचन अच्छे से न हो तो पेचिश भी हो सकते हैं। कैलिश्यम को अंडे के पीले भाग, मछली के तेल, विटामिन डी युक्त दूध, बटर और धूप से पाप्त किया जा सकता है। विटामिन ई- यह विटामिन खून में लाल रक्त कोशिकाओं, मांस-पेशियां व अन्य ऊतकों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। यह शरीर को ऑक्सीजन के नुकसानदायक रूप ऑक्सीजन रेडिकल्स से बचाता है, इस गुण को एंटीऑक्सिडेंट कहा जाता है। विटामिन ई कोशिका के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उनके बाहरी कवच या सेल मेमब्रेन बनाए रखता है। यह शरीर के फैट एसिड को भी संतुलन में भी रखता है।
समय से पहले पैदा हुए प्रीमेच्योर शिशु में विटामिन ई की कमी से खून की कमी हो जाती है। इससे बच्चों में एनीमिया हो सकता है। इसकी कमी से न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो सकती है। विटामिन ई अधिक मात्रा में लेने से रक्त कोशिकाओं पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे खून बहने की बीमारी हो सकती है।
मॉर्डन जमाने में अब भी लोग परेशान हैं मोटापे से....बच्चे, जवान व बूढ़े सभी हैं इस बीमारी के शिकार...
आधुनिक तकनीकी युग में विकसित देश के नागरिक हों या विकासशील देश का विशाल जनसमूह सभी आज स्वास्थ्य में किसी न किसी कमी के कारण चिंतित हैं और किसी भी देश चाहे अमेरिका, चीन जापान या फिर भारत हो, ये देश कोई भी तकनीक विकसित कर लें, मनुष्य के लंबे समय तक स्वस्थ रहने की गारंटी नहीं ले सकते हैं, इसका कारण है लोगों में वास्तविक ज्ञान की कमी। कोई टूल या मशीन से किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की कमी को तब तक ठीक नहीं किया जा सकता है जब तक कि लोगों में अपने शरीर और शरीर के अंगों की जानकारी न हो।
इसका स्थायी और वास्तविक इलाज है, सिर्फ व्यायाम। इसमें छुपे हुए हैं मनुष्य के जीवन को स्वस्थ रखने की अपार संभावनाएं। व्यायाम करने के कई प्रकार हैं, परंतु आप व्यायाम करते हैं, तो आपके शरीर के किसी न किसी अंग या भाग पर व्यायाम का प्रभाव पड़ता है, जिससे उस किसी विशेष अंग पर अधिक प्रभाव पड़ता है, जिस पर आप अधिक तनाव देते हैं या उसे खींचते हैं। स्वयं के शरीर को पहचानना आवश्यक है इंसान को....
शरीर के किस अंग या भाग में समस्या है। यह पतला, मोटा, कमजोर या अधिक सख्त तो नहीं। इसके लिए उसे दवा लेने, ऑपरेशन कराने से या डॉक्टर से सलाह लेने की भी आवश्यकता नहीं है। अपने शरीर को व्यायाम से संतुलित किया जा सकता है। डॉक्टर को दिखाने से वह बोलेगा कि दवा से ठीक नहीं होगा तो ऑपरेशन करना पड़ेगा। विभिन्न प्रकार के दवाएं दी जाती हैं, ऑपरेशन कराए जाते हैं और मरीज ठीक नहीं होने पर उसे आगे रेफर कर दिया जाता है। आखिरकार या तो इंसान अधिक रोगग्रस्त हो जाता है या फिर उसे दुनिया को अलविदा कहने में देर नहीं लगती है।
गलती कहां पर होती है कि इंसान रेडीमेड का आदी बन गया है और अपने शरीर को कष्ट देना नहीं चाहता है। अगर समय पर व्यायाम करे, तो हर मर्ज का इलाज उसे खुद पता चल जाएगा। प्रकृति में प्राकृतिक स्रोतों का विशाल भंडार है, जिनसे न केवल मनुष्य स्वस्थ रह सकता है, बल्कि अपने शरीर को आजीवन रोगमुक्त रख सकता है।
सबसे बड़ा रोग है—मोटापा, जिसके प्रत्यक्ष लक्षण हैं – मोटा, फैला, फूला हुआ पेट और हिप्स का बड़ा आकार!
सर्वाधिक लोग परेशान हैं मोटापे से.... मतलब बड़ा, फूला और फैला हुआ पेट और हिप्स का बड़ा आकार... कैसे पाएं इससे निजात! ये बीमारी कहीं से आई नहीं, इस बीमारी का मुख्य कारण लोगों के द्वारा शरीर को कष्ट नहीं देना है...और इन्हें लोग दूर से पहचान लेते हैं..बड़े, फैले हुए पेट और हिप्स के बड़े आकार से!
... मात्र एक तरीका है इस गंभीर बीमारी को अलविदा कहने का।
उम्र बढ़ने के साथ लोग चल-फिर नहीं सकते, सांस लेनी में परेशानी....इंसान जीने से अच्छा मरना चाहता है। लडके-लड़कियों को समाज में जाने में शर्म महसूस होती है, हो भी क्यों न, उनकी शादी होना मुश्किल हो जाता है। जरा सोचिए, कौन ले जाएगा, उस भारी-भरकम शरीर वाले लड़की को दुल्हन बनाकर, जिसका बड़ा पेट और हिप्स का बड़ा आकार देख लोग कहने लगते हैं..मोटी है!खैर ये बात छोड़िए, लोग जो भी कहें, परेशानी तो उसे है, जिसका इतना बड़ा फूला हुआ बड़ा पेट और बड़े आकार के हिप्स हैं। ये कोई मिथ्या नहीं, वास्तविक बात है। इंसान चाहे और प्रयास करे, तो इसका जल्द ही समाधान हो जाता है, जिसके लिए उस इंसान को अपने खान-पान की परवाह किए बिना व्यायाम पर ध्यान देना है।
कौन से व्यायाम लाभकारी हैं: स्थूल पेट और बड़े आकार के हिप्स का आकार कम करने के....
सबसे बड़ी बात है कि मोटे, फैले और फूले हुए पेट और बड़े आकार के हिप्स वाले लोग किसी पार्क, ग्राउंड में व्यायाम नहीं करना चाहते हैं, वे सोचते हैं लोग क्या कहेंगे! पर सच बात तो यह है कि वह इंसान उस समय अपने मानव शरीर की परवाह नहीं करता है, जो बिल्कुल गलत है। लेकिन अब समाधान आ गया है।
जो कोई भी इस तरह के लोग हैं वे अपने घर के एक कमरे में भी दैनिक रूप से यहां सुझाया गया व्यायाम कर सकते हैं:
1. सर्वप्रथम ढील कपड़े मतलब स्पोर्ट्स में पहने जाने वाले कपड़े पहनें।
2. जमीन/फर्श पर लेट जाएं।
3. अपने पूरे शरीर पर तनाव दें, मतलब शरीर को खींचें।
4. पैरों को नीचे की ओर खींचे और सिर को ऊपर की ओर।
5. अपनी क्षमता के अनुसार जितने अधिक समय तक यह प्रक्रिया कर सकते हैं, करते रहें।
6. उसके बाद शरीर में तनाव दी गई स्थिति में पूरे शरीर को चलाएं, मतलब कुछ दूरी तक उलट-पलट कर पूरा शरीर चलाएं।
7. यह प्रक्रिया उलटा-सुल्टा मतलब पेट जमीन की तरफ कर और ऊपर की तरफ कर दोनों तरह से करें। शरीर में तनाव देना न भूलें, मतलब शरीर खींची हुई स्थिति में होना चाहिए।
8. पेट और हिप्स को और ज्यादा मूवमेंट देने की कोशिश करें।
ये सिर्फ एक व्यायाम ही नहीं रामबाण इलाज है, शरीर को फूले हुए पेट और बड़े आकार के हिप्स से मुक्त करने का। सबसे बड़ी बात यह है कि यदि स्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति अपने शरीर को फिट रखना चाहते हैं, तो उनके लिए यह एक एडवांस लेवल का व्यायाम है। विश्वभर में सर्वाधिक शाकाहारी लोग किस देश में हैं? विश्वभर की कुल जनसंख्या का अधिक प्रतिशत भाग शाकाहारी वर्ग से है या मांसाहारी। मांसाहारी होने का तात्पर्य वे लोग, जो शाक और मांस दोनों का स्वाद लेते हैं। एक सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि किस वर्ग के लोग अधिक स्वस्थ रहते हैं या किस वर्ग के लोग खानपान की वजह से स्वास्थ्य की समस्याओं से ग्रसित रहते हैं। कुछ समय के लिए शरीर में अनावश्यक एनर्जी महसूस होना और शरीर अस्थाई रूप में स्वस्थ होना भी एक बीमारी के संकेत हो सकते हैं। जबकि सामान्य एनर्जी महसूस होना और स्वस्थ रहना अधिक उपयुक्त है – एक सफल व स्वस्थ जीवनचक्र में अपने दैनिक कार्यों के साथ आगे बढ़ना। ये लोग शाकाहारी भोजन करने से उम्रभर स्वस्थ और तंदुरूस्त रहते हैं, जिसकी वजह से इन्हें कोई भी बीमारी अपने आगोश में नहीं ले पाती है। यदि कभी इस वर्ग के किसी व्यक्ति को कोई बीमारी आने या होने का संदेह होता है, तो ये प्राकृतिक हर्बल खाद्य पदार्थों, नेचुरल हर्बल जैसे तुलसी, आंवला, अदरक, शीशम, नीम, हल्दी व अन्य कई तरह के हर्बल से तैयार ग्रीन टी व हर्बल जूस का सेवन कर अपने शरीर को विभिन्न तरह के रोगों से लड़ने की शक्ति प्राप्त करते हैं और खुशी-खुशी अपने जीवन की पारी अधिकतम सीमा तक पूरी करते हैं।
शाकाहारी भोजन लेने से जीवन भर मिलने वाले लाभ
शाकाहारी होना भी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं अपितु इससे मानव शरीर में कई बीमारियां प्रवेश नहीं कर पाती हैं। मांसाहारियों को जो तत्व मांस से मिलते हैं, वही तत्व विभिन्न प्रकार की सब्जियों से भी प्राप्त होते हैं। मछली, मांस और अंडे से प्रोटीन प्राप्त होता है, जो वनस्पति से भी प्राप्त होता है। मानव शरीर के कार्य करने के लिए सभी प्रकार के पौष्टिक पदार्थो को वनस्पतियों से भी प्राप्त किया जा सकता है। फोलेट के अत्यधिक मात्रा में होने के कारण और सेचुरेटेड वसा, कोलेस्ट्रॉल और एनिमल प्रोटीन के कम मात्रा में होने के कारण शाकाहारी भोजन हमें रोगों से बचाता है। शाकाहारियों में हृदय को रक्त भेजने वाली धमनियों से संबंधित बीमारी की संभावना बहुत कम होती है। शाकाहारियों में तरल कोलेस्ट्रॉल तथा कम घनत्व वाले लायपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सामान्यत: कम पाई जाती है, लेकिन उच्च- घनत्व वाले लायपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा इस बात पर निर्भर है कि आप किस प्रकार का शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। शाकाहारियों में हाई ब्लड प्रेशर की संभावना मांसाहारियों से कम होती है और यह केवल वजन और नमक पर निर्भर नहीं करता। इसका कारण यह भी हो सकता है कि वे कॉम्प्लेक्स कार्बोहाईड्रेट ज्यादा मात्रा में ग्रहण करते हैं और इनमें शारीरिक स्थूलता भी कम होती है।
शाकाहारियों में फेफड़ों और बड़ी आंत का कैंसर कम होता है, क्योंकि शाकाहारी भोजन करने वाले लोग रेशायुक्त फल और सब्जियों का अधिक सेवन करते हैं। विश्वभर से लिए गए आंकड़े यह दर्शाते हैं कि वनस्पति आधारित भोजन करने वालों में स्तन का कैंसर होने की संभावना कम होती है। इसका कारण शाकाहारियों में एस्ट्रोजन की कम मात्रा सहायक है।
शाकाहारी भोजन गुर्दे से संबंधित रोगों की रोकथाम में सहायक होता है। अध्ययन से पता चला है कि वनस्पतियों में उपस्थित कुछ प्रोटीन जीवित रहने की संभावना बढाते हैं और शाकाहारियों में पेशाब के द्वारा प्रोटीन का निकल जाना, कोशिकाओं द्वारा रक्त छनने की गति, गुर्दे में रक्त संचार और गुर्दे से संबंधित विकार मांसाहारियों की तुलना में कम होते हैं। शरीर को आवश्यक अमीनो एसिड की पूर्ति वनस्पतियों से मिलने वाले प्रोटीन से भी हो जाती है, अगर प्रोटीन आधारित वनस्पति पदार्थों का सेवन किया जाए।
बचाव ही उपचार है अर्थात सेहत का ध्यान रखने के लिए स्वास्थ्य के अनुकूल पदार्थों का ही सेवन करें
प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नेचुरल हर्बल्स, भले ही वे प्लांट हों, फल हों, कोई ग्रीन सब्जी या तरल पदार्थ हों, इनसे तैयार किए गए हर्बल उत्पादों से हमेशा ही दुनियां भर के लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिले हैं और मिलते रहेंगे, और साथ में कष्ट व रोगों से भी मुक्ति मिलती है, शारीरिक व मानसिक चिंताएं कम होती हैं। दूसरे शब्दों में कहें कुल मिलाकर लोगों को राहत महसूस होती है। आपका जीवन साधारण से करिश्माई व्यक्तित्व के रूप में उभरकर सामने आता है। अगर आप लोग इन नेचुरल हर्बल्स को उपयोग में ला रहे हैं, तो आपकी लाइफ स्टाइल व जीवन पद्धति में शीघ्र ही सुधार होगा। दुनियां भर के लोगों का स्वास्थ्य व लाइफस्टाइल इस बात पर निर्भर करता है कि उनके दैनिक खानपान में कितने अधिक पोषक तत्व हैं, क्या वे फल, सब्जियां, दूध और दुग्ध उत्पाद और मांस का पर्याप्त सेवन करते हैं, जिनसे उन्हें सभी विटामिन मिलते हैं। लाइफ स्टाइल व जीवन पद्धति में सुधार से लोगों का ध्यान आपकी ओर आकर्षित होता है और वे आपके बेहतर जीवन शैली की चर्चा करते हैं। कभी-कभी स्वस्थ लोगों को भी कोई रोग लग जाते हैं, इसलिए सलाह दी जाती है, कि आप अभी लोग अपने स्वास्थ्य का रूटीन चैकअप करवाते रहें। विश्व स्वास्थ्य संगठन समय-समय पर स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करता है, जिस पर हम सभी को गौर करना जरूरी है। कहा ही नहीं जाता है, बल्कि यह वास्तविक बात है कि फलों व सब्जियों का रस अत्यंत स्वास्थ्यवर्द्धक है, जिसके कारण विश्व भर के लोग सामान्य से लेकर खतरनाक बीमारियों से बचने के लिए नेचुरल हर्बल पदार्थों का सेवन करते हैं। अच्छा स्वास्थ्य कहें या लाइफस्टाइल, स्वच्छ एवं चमकते हुए दांत व मुस्कान से आपकी लाइफस्टाइल अधिक खूबसूरत हो जाती है। आपका लाइफ पार्टनर खुश होने और उसके मुस्कुराने से आप भी हेल्दीय और तंदुरुस्त रह सकते हैं। विज्ञान के अनुसार, एक खुश जीवन साथी होने व उसके साथ जीवन यापन करने से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। स्वास्थ्य है तो सब कुछ है (हेल्थ इज वेल्थ) – इसकी परिभाषा और अर्थ की जानकारी के अनेक स्रोत ऑनलाइन उपलब्ध हैं। अवश्य पढ़ें। सामान्य रूप से स्वास्थ्य का मतलब, यदि कोई व्यक्ति किसी शारीरिक और मानसिक रोग से पीड़ित नहीं है, इसका मतलब उसका स्वास्थ्य अच्छा है। मौसम का भी स्वास्थ्य पर असर पड़ता है आपका स्वास्थ्य किसी मौसम में ठीक और किसी मौसम में आपका स्वास्थ्य ठीक न रहना भी सेहत के लिए समस्या है। कभी अत्यधिक गर्मी व कभी अधिक ठंड और बारिश का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हर मौसम में अपना स्वास्थ्य स्वस्थ रखने के लिए रूटीन चेकअप करवाएं।
मनुष्य के स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत जानकारी
आदिकाल/प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक मनुष्य का स्वास्थ्य.....
प्राचीन काल में मनुष्य की आयु आज के मनुष्य की अपेक्षा अधिक थी, जबकि आज का मनुष्य को स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी होने के साथ-साथ उसे कई तरह की दवाएं, साधन-सुविधाएं और मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल हैं, जहां सामान्य से लेकर मनुष्य के हर अंग के विशेषज्ञ चिकित्सक चौबीस घटे उपलब्ध होते हैं!
मनुष्य के स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत जानकारी
आदिकाल/प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक मनुष्य का स्वास्थ्य.....
प्राचीन काल में मनुष्य की आयु आज के मनुष्य की अपेक्षा अधिक थी, जबकि आज का मनुष्य को स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी होने के साथ-साथ उसे कई तरह की दवाएं, साधन-सुविधाएं और मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल हैं, जहां सामान्य से लेकर मनुष्य के हर अंग के विशेषज्ञ चिकित्सक चौबीस घटे उपलब्ध होते हैं!
परंतु सर्वविदित है कि आज का मनुष्य स्वस्थ दिखने के बाद भी बीमार है, उसके शरीर में न तो पर्याप्त ऊर्जा है, न ही उसके मन में चैन। माहौल कुछ ऐसा बन गया है कि आदमी हो औरत....पैसे की खोज में भाग रहे हैं, जबकि प्राचीन काल के लोग या कहें हमारे पूर्वजों ने अपना पूरा जीवन सामगी खोजने और समय के अनुसार प्राकृतिक संसाधन उपयोग कर औजार/ उपकरण/यंत्र तैयार करने में लगाया, जिनके आधार पर वर्तमान समय के अत्याधुनिक उपकरण विकसित हो पाए हैं।
आइए, जानें क्या परिदृश्य था प्राचीन काल में...
प्राचीन काल में मानव मिट्टी और पत्थरों के साथ पला-बढ़ा हुआ था। उस समय के लोग पत्थरों से शिकार करना, पत्थरों की गुफाओं में निवास करना, पत्थरों से आग जलाना और अन्य तरह की गतिविधियों में व्यस्त रहते थे।
प्राचीन काल को तीन चरणों में बांटा गया है:
1. पुरापाषाण काल
2. मध्यपाषाण काल
3. नवपाषाण काल
पुरापाषाण काल:
इस काल में मनुष्य ने प्राकृतिक सामग्री/संसाधन उपयोग कर हथियार/औजार तैयार किए, जैसे भाला, कुल्हाड़ी, धनुष, तीर, सुई और अन्य। लोग समूह बनाकर गुफाओं, झाडियों, जंगलों व नदी/झील के किनारे रहते थे।
पाषाण काल:
समय के साथ मनुष्य को चीजें समझ आने लगी और उसने हाथ से बने / प्राकृतिक वस्तुओं को हथियार/औजार का उपयोग – धनुष- तीर चलाना, मछली का शिकार करना और सामग्री एकत्रित करने के बरतन, नौका बनाना और चलाना सीख लिया था। लोग इस समय भी कबीलों व समूहों में एक साथ गुफाओं, नदी के किनारे व झोपड़ियों में निवास करते थे।
आज का समय देखें, लोग अभी भी झोपड़ियों में रह रहे हैं।
नवपाषाण काल:
इस काल में लोगों के ज्ञान में वृद्धि हुई और हाथ से बने हथियार/औजार का उपयोग लकड़ी काटने, पत्थर तोड़ने व खेती करने में उपयोग करने और मिट्टी के औजार/बरतन बनाना सीख लिया। इस काल में लोगों ने बस्तियों में रहना शुरू कर लिया था और खेती से अलग-अलग प्रकार का अनाज, दाल व सब्जियां उगाना शुरू कर दिया था।
आज दुनियां में प्रगति के नाम पर पेड़-पौधों का विनाश व जमीन पर भारी मात्रा में कंस्ट्रक्शन हो रहा है, जिससे स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल और उपजाऊ जमीन के अभाव से जैविक रूप में खेती करना असंभव हो गया है, इसके परिणामस्वरूप विषैली हवा और विभिन्न प्रकार के रसायन उपयोग कर उगाए गए अनाज का सेवन करने से मनुष्य के शरीर में किसी न किसी रूप में जहर/विष प्रवेश कर रहा है और मनुष्य के कई तरह की परेशानियां होने के साथ-साथ तरह-तरह की बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं।
शरीर के लिए प्राकृतिक अनाज का सेवन अनिवार्य है, न कि आज के वर्तमान युग में रसायनों का उपयोग कर उगाया गया अनाज, जिसका शिकार समस्त मनुष्य जाति हो रही है।
किसी आदमी के सुखी जीवन का पता उसके चेहरे, हावभाव व अन्य शारीरिक गतिविधियों से पता चलता है, न कि उसकी संपत्ति, उसके महंगे लिबास और घर-परिवार, समाज व देश या दुनियां में उसके नाम व उसकी स्थिति से!
गौर करने वाली बात है, कोई गांव का प्रधान हो, शहर का मेयर, प्रदेश का मुख्यमंत्री या देश का प्रधानमंत्री या फिर मिस्टर या मिस वर्ल्ड अथवा मिस्टर या मिस यूनिवर्स। एक सीमित समय के लिए लाइम लाइट में रहना और करोड़ों लोगों से प्रशंसा पाना किसी व्यक्ति को गर्वान्वित महसूस करा सकता है, उसे असीमित पैसा व संपत्ति से धनवान बना सकता है, परंतु यदि उसका स्वास्थ्य स्वाभाविक या प्राकृतिक रूप से स्वस्थ नहीं है, तो सिर्फ व सिर्फ वही जान सकता है कि वह कितना खुश व सुखी है।
एक श्रमिक स्वस्थ्य स्वास्थ्य के साथ अपना व अपने परिवार का पालन-पोषण दैनिक रूप से परिश्रम कर करता है, उसे कोई शारीरिक तकलीफ नहीं, तो वह व्यक्ति अन्य दुनिया के प्रशंसित व्यक्तियों से अधिक खुश व सुखी है।
इसलिए, सभी लोगों को अपने स्वास्थ्य को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखना चाहिए। दुनिया के प्रतिष्ठित व्यक्ति मशहूर हैं अपनी संपत्ति, नाम व उपलब्धियों के लिए, परंतु अधिकांश किसी न किसी रोग से पीड़ित हैं और दैनिक रूप से दवाओं और विशेष चिकित्सा सुविधा के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं, उन्हें ही पता है कि उन्हें अंदर से कितना दर्द है। इसलिए, अगर श्रमिक के रूप में स्वस्थ जीवन जीना अधिक महत्वपूर्ण है वह जीवन जीने से जो लोग एक नहीं कई देशों के चक्कर लगा-लगा कर परेशान हैं अपने स्वास्थ्य का इलाज करने के लिए। सुखी जीवन जीने के लिए आपको न मोदी, न राहुल गांधी और न ही डोनाल्ड ट्रम्प का जैसा व्यक्तित्व व पद की आवश्यकता नहीं है, बल्कि नेचुरल संसाधनों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन और सभी तरह के योगाभ्यास कर अपने शरीर को मजबूत और स्वस्थ बनाएं, और खुशी से जीवन का निर्वाह करें। खुश रहें व अन्य लोगों के लिए भी खुशी खोजें! जीवन अनमोल है, प्राकृतिक नियमों के विरूद्ध न जाएं, पृथ्वी कभी भी कई प्रकार से अपना विकराल रूप धारण कर सकती है। चीजें नष्ट करने के बजाय बढ़ाने का प्रयास करें और जरूरतमंद को जरूर मदद करें।
मनुष्य को होने वाले रोग/बीमारियां
हीमोफिलिया
यह एक आनुवांशिक बीमारी है, जो महिलाओं से फैलती है और पुरूषों को होती है। इस बीमारी में शरीर से निकलने वाला रक्त जमता नहीं है। रक्त बहना जल्दी नहीं रूकता है, इसलिए इस बीमारी में चोट लगने या दुर्घटना होने पर मौत की संभावना अधिक होती है। विशेषज्ञों के अनुसार रक्त का थक्का नहीं बनने वाले प्रोटीन की कमी के कारण यह बीमारी होती है। रक्त का थक्का जमाकर रक्तस्राव रोकने की विशेषता वाले फैक्टर को विज्ञान की भाषा में क्लोटिंग फैक्टर कहा जाता है। भारत में इस बीमारी से ग्रसित रोगी कम हैं। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर के किसी भी भाग में चोट लगने पर अत्यधिक रक्तस्राव होता है, जिससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। थ्राम्बोप्लास्टिन पदार्थ में रक्त को जमाने की क्षमता होती है, जिसकी कमी से यह बीमारी होती है और रक्त जमता नहीं है जिससे रक्तस्राव नहीं रूकता है।